उत्तर प्रदेश में गंगा-यमुना उफान पर, लोग परेशान

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लखनऊ, 17 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश होने के चलते गंगा और यमुना नदियां उफान पर हैं। प्रदेश के कई स्थानों पर दोनों नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ रही है। कुछ क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं।

प्रयागराज, मथुरा, आगरा में यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद प्रशासन ने चेतावनी जारी की है और कहा है कि लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। वहीं वाराणसी और गाजीपुर के आस-पास के क्षेत्रों में गंगा का जलस्तर बढ़ने से लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने लगे हैं।


वृदांवन की खादर से लगे क्षेत्रों में यमुना खतरे के निशान को छू रही हैं। यहां के जयसिंहपुरा, महावन, बलदेव तथा यमुना पार क्षेत्रों में जिला प्रशासन ने लोगों को अलर्ट किया है।

मथुरा निवासी महेश ने बताया कि दो दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण यहां पर बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं।

उसने कहा, “अगर हाथिन कुंड का पानी छोड़ा गया तो पूरा इलाका डूब जाएगा।”


इसी कारण जिला प्रशासन ने एहतियातन वृदांवन के निचले क्षेत्रों में रह रहे लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है।

मथुरा के एडीएम (वित्त) ब्रजेश कुमार ने आईएएनएस से कहा, “अभी तक हालात समान्य हैं। आज नदी खतरे के निशान से तीन मीटर नीचे है। आज का जल स्तर 163.93 मीटर है। जबकि खतरे का निशान 166.66 है। लेकिन फिर भी एहतियातन एनडीआरएफ को अलर्ट किया गया है। सभी के खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। हम हर हालात से निपटने में सक्षम हैं।”

प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई घाट बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। घाटों से घाटियों और तीर्थ पुरोहितों को सुरक्षित स्थानों की ओर जाने को कहा गया है। वहीं गंगा और यमुना के घाटों पर श्रद्धालुओं के स्नान के लिए बैरिकेड लगा दी गई है। घाटों पर जल पुलिस की तैनाती करने के साथ ही जिलाधिकारी कार्यालय में बनाए गए बाढ़ नियंत्रण कक्ष से लगातार बढ़ रहे जल स्तर की देख रेख हो रही है।

केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, संगम में दोनों ही नदियों का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। नैनी में यमुना नदी का जलस्तर जहां 77.200 मीटर तक पहुंच गया है। वहीं गंगा नदी का जलस्तर फाफामऊ में 78.390 मीटर और छतनाग में 76.560 मीटर हो गया है। पिछले चौबीस घंटे में दोनों नदियों के जलस्तर में करीब 30 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले तीन दिनों से जलस्तर में तेजी से वृद्धि हुई है।

बाढ़ कार्य खंड सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अवर अभियंता राम मूरत ने बताया कि प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के खतरे का स्तर 84.734 मीटर है। लेकिन अभी दोनों नदियां खतरे के निशान से लगभग आठ मीटर कम है। नदियों के जलस्तर में लगातर बढ़ोतरी हो रही है।

उन्होंने बताया कि चौबीस घंटे नियंत्रण कक्ष के जरिए नैनी, फाफामऊ और छतनाग में जलस्तर की निगरानी की जा रही है। पूर क्षेत्र में लगभग 100 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं और सभी आठ तहसीलों में बाढ़ नियंत्रण कक्ष खोल दिए गए हैं। लोगों की परेशानियों को देखते हुए बचाव के अन्य उपाय भी किए जा रहे हैं।

बनारस में गंगा का जलस्तर बढ़ने से कई घाटों का संपर्क टूट गया है। शुक्रवार रात तक अस्सी से भदैनी व मणिकर्णिका से दशाश्वमेध घाट पानी में डूब गए हैं। ऐसे में लोग गलियों से होकर एक घाट से दूसरे घाट जा रहे हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार इस वर्ष वाराणसी में सर्वाधिक जलस्तर दर्ज किया गया।

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, बैराजों से काफी पानी छोड़े जाने से बीते दो दिनों में गंगा का जलस्तर दो मीटर बढ़ गया। दशाश्वमेध के बाद केदारघाट और अस्सी घाट पर आरती स्थल पानी मू डूब गया है। महाश्मशान पर शवदाह का स्थान भी बदल गया है। गंगा के अलावा सहायक नदी वरुणा के भी उफनने से तट पर बसे लोग सहमे हुए हैं।

प्रशासन ने छोटी नौका का संचालन न करने की हिदायत दी है। जल पुलिस व एनडीआरएफ ने गंगा में पेट्रोलिंग तेज कर दी है। बड़ी नौका पर ओवरलोडिंग पर भी नजर रखी जा रही है। गोताखोरों को अलर्ट किया गया है। वहीं, बाढ़ राहत के लिए केंद्रों का चयन कर वहां जरूरी सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

गंगा में बढ़ाव फाफामऊ, इलाहाबाद, सीतामढ़ी, मीरजापुर, वाराणसी व गाजीपुर में जारी है। वहीं बलिया में गंगा स्थिर हैं।

बनारस के स्थानीय निवासी माधव दास ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़ने से काशी आने वाले पर्यटकों को घाट घूमने का मौका नहीं मिल पा रहा है। इससे वे काफी निराश हैं। यहां पर जलस्तर के उतार-चढ़ाव की स्थिति देखने को मिल रही है। इस दौरान निचले इलाकों में पानी ज्यादा भरने की आशंका रहती है। गंगा से सटे वरुणा नदी के आसपास रहने वाले लोग बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सुरक्षित स्थान की ओर जाने लगे हैं।

बाढ़ राहत आपदा प्रबंधन विभाग कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि जहां नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है, वहीं जिला प्रशासन को अलर्ट किया गया है। एनडीआरएफ की टीम को भी सक्रिय रहने को कहा गया है। बाढ़ क्षेत्रों में खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। वहां से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की भी व्यवस्था है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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