उत्तराखंड : हाथियों की तबाही रोकने रेडियो कॉलर का होगा प्रयोग

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देहरादून, 6 नवम्बर (आईएएनएस)| उत्तराखंड में इन दिनों हाथियों के झुंडों ने लोगों का जीना दुभर कर दिया है। अलग-अलग झुंडों में निकल रहे हाथियों ने काफी नुकसान करने के साथ दो लोगों की जान भी ले ली है। निगरानी के लिए इन पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआई) के सहयोग से रेडियो कॉलर लगाने की तैयारी की जा रही है। इसे लेकर डब्ल्यूआइआई के वैज्ञानिकों और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने मंथन भी किया है। भरतरी ने आईएएनएस को बताया कि निगरानी के लिए हाथियों पर जल्द ही रेडियो कॉलर लगाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

उन्होंने बताया कि जिस हाथी पर यह अत्याधुनिक रेडियो कॉलर लगा होगा, उसके आबादी क्षेत्र से 500 मीटर की दूरी पर होने पर संकेत मिल जाएगा और ताकि वन विभाग हाथियों को वापस जंगल में खदेड़ने के लिए जरूरी कदम उठा सकेगा।


बीते दिनों झुंड से बिछड़े जंगली हाथी ने पंजहेड़ी और जियापोता गांव में दो लोगों पर हमला कर दिया। इस घटना में एक पुरुष की मौके पर और एक महिला की निजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। इसके बाद ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों का घेराव भी किया।

विभाग इन दिनों हाथियों के हमलों से परेशान है। इसके अलावा उत्तराखंड में कुंभ को देखते हुए भी उन्हें व्यवस्था को दुरुस्त रखना है। हरिद्वार क्षेत्र के 30 गांव हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों के खौफ से त्रस्त हैं। हाथी आए दिन जंगल की देहरी पार कर आबादी वाले इलाकों में घुस कर तबाही मचाते हैं। हलांकि अभी विभाग ने टीमें गठित कर रखी है।

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक के रेडियो कॉलर सेटेलाइट से जुड़े होते थे, जिसका संकेत विशेष उपकरण पर ही आता था और इसे सिर्फ वैज्ञानिक या तकनीकी रूप से दक्ष व्यक्ति ही पढ़ सकता था। जबकि अत्याधुनिक रेडियो कॉलर के संकेत को आम आदमी भी अपने मोबाइल पर पढ़ सकता है।


मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने बताया कि प्रथम चरण में इन्हीं छह झुंडों के चिह्न्ति हाथी को रेडियो कॉलर लगाया जाएगा, ताकि उनके व झुंड के मूवमेंट पर नजर रखकर लोगों को आगाह करने के साथ ही इन्हें जंगल की तरफ खदेड़ने को कदम उठाए जा सके ।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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