नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)| पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शुक्रवार को कहा कि वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम) के तहत सेवानिवृत्ति लेने के उनके फैसले का तबादले से कोई संबंध नहीं है।
मालूम हो कि इसी सप्ताह केंद्र सरकार द्वारा नौकरशाही में किए गए फेरबदल के दौरान गर्ग का तबादला ऊर्जा मंत्रालय के सचिव के तौर पर कर दिया गया है।
इस तबादले को प्रतिष्ठित पद से उनकी पदावनति के रूप में देखा जा रहा है।
ऊर्जा मंत्रालय का कार्यभार शुक्रवार को संभालने के शीघ्र बाद संवाददाताओं से बातचीत में गर्ग ने कहा कि उन्होंने सेवानिवृत्ति के संबंध में 18 जुलाई को ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से बातचीत की थी।
हालांकि, उन्होंने वीआरएस के लिए औपचारिक आवेदन 24 जुलाई को दिया। इसी दिन सरकार ने देर शाम में शीर्ष नौकरशाही में बड़े फेरबदल की घोषणा की।
गर्ग ने कहा, “इसलिए, इससे कोई संबंध नहीं है। मैं ऊर्जा मंत्रालय में नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री और व्यवस्था का आभारी हूं। यह एक महत्वपूर्ण मंत्रालय है। 50 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना तब तक पूरा नहीं होगा जब तक ऊर्जा क्षेत्र में सुधार नहीं होगा। ऊर्जा क्षेत्र के प्रदर्शन पर भी अर्थव्यवस्था की तरक्की निर्भर करती है।”
उनसे जब पूछा गया कि क्या वीआरएस के लिए उनका आवेदन स्वीकार किया गया है या फिर वह अपने फैसले पर दोबारा विचार करेंगे। इस पर उन्होंने कहा कि आवेदन पर उनके मूल राज्य के कैडर की भी मंजूरी की आवश्यकता होगी और इसमें फैसला आने में तीन महीने का समय लगेगा।
गर्ग ने कहा, “मैंने व्यक्तिगत कारणों से वीआरएस लेने का फैसला लिया है।”
फैसले पर दोबारा विचार करने के सवाल पर उन्होंने कहा, “यह सवाल उपयुक्त नहीं है।”
बुधवार को देर शाम सरकार द्वारा उनका तबादला वित्त मंत्रालय में सचिव के पद से ऊर्जा मंत्रालय में किए जाने की घोषणा के एक दिन बाद गर्ग के सेवा से मुक्त होने के फैसले की खबर आई।
गर्ग ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें 31 अक्टूबर 2019 से सेवा मुक्त किया जाए। वह अक्टूबर 2020 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
इस बात की अटकलें लगाई जा रही है कि बजट में घोषित सॉवरेन बांड के मसले पर गर्ग के फैसले को लेकर उनका तबादला ऊर्जा मंत्रालय में कर दिया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के अधिशेष और सरकार को इसका हस्तांतरण करने के मसले पर बिमल जालान समिति से उनका विरोध भी सरकार में एक वर्ग को गले नहीं उतर रहा है।
हालांकि इन अटकलों पर गर्ग ने प्रतिकार किया है।
गर्ग ने कहा, “सॉवरेन बांड पर फैसला उपलब्ध घरेलू संसाधनों, खासतौर से निजी क्षेत्र पर दबाव कम करने को लेकर लिया गया है। काफी विचार के बाद यह फैसला लिया गया है जिसका लाभ बहुत ज्यादा है जबकि जोखिम अत्यंत कम है। मैं जब तक वहां (वित्त मंत्रालय में) था तब तक मैंने सरकार में किसी की ओर से इस पर सवाल करते नहीं सुना था।”
आरबीआई के पूर्व गवर्नरों का एक वर्ग और स्वदेशी जागरण मंच ने सॉवरेन बांड का विरोध किया है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1983 बैच के राजस्थान कैडर के अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग का तबादला ऊर्जा मंत्रालय में होने से पहले वह वित्त सचिव के साथ-साथ आर्थिक मामलों के विभाग के भी सचिव थे।