विजेंदर सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा में हुआ था। उनके पिता महिपाल सिंह बेनीवाल हरियाणा रोडवेज में बस ड्राइवर है और उनकी मां एक गृहणी हैं। हैं। विजेंदर सिंह को मुक्केबाजी करने की प्रेरणा अपने भाई से मिली। इन्होंने भिवानी बॉक्सिंग क्लब से मुक्केबाजी के गुण सीखे। विजेंदर को उन्हें किंग ऑफ द रिंग भी कहा जाता है।
विजेंदर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव कालूवास से की और सेकेंडरी शिक्षा के लिए जिला भिवानी के स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने बैचलर डिग्री पूरी की। वर्ष 1990 में एक मुक्केबाज राज कुमार सांगवान ने अर्जुन अवार्ड जीता था। बस इसी को देखकर विजेंदर और उनके भाई मनोज ने निर्णय लिया कि वे मुक्केबाजी सीखेंगे। मुक्केबाजी में दिलचस्पी होने के कारण विजेंदर ने अपनी पढ़ाई को छोड़ दी।
विजेंदर ने साल 2008 को बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया था। लेकिन वो कमर की चोट से जूझ रहे थे इसलिए उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वो क्वालिफाई कर पाएंगे। इस ओलंपिक में विजेंदर ने मिडिलवेट वर्ग में भाग लिया और वहां उन्होंने कांस्य पदक जीता। यहां वे भारत के पहले मुक्केबाज थे, जिन्होंने भारत के लिए पहला पदक जीता।
विजेंदर सिंह ने 10 अक्टूबर 2015 को सोनि व्हिटिंग के खिलाफ अपनी पहली प्रोफेशनल बॉक्सिंग फाइट लड़ी और TKO से उसमें जीत दर्ज की। विजेंदर सिंह प्रोफेशनल बॉक्सिंग में 10 मुकाबले लड़ चुके हैं और सभी में उन्होंने जीत दर्ज की है। 7 मुकाबलों में उन्होंने नॉकआउट से जीत दर्ज की और 3 मुकाबलों में निर्णय उनके पक्ष में रहे।
एक बार एक इंटरव्यू में विजेंदर से पूछा गया था कि जब वह रिंग में उतरते हैं तो उनके परिवार के सदस्य उनसे क्या कहते हैं? इसपर विजेंदर का कहना था कि, वैसे तो मेरा परिवार मेरी फाइट ज्यादा देखता नहीं है, लेकिन हां मेरा बेटा हमेशा ही उन्हें मोटिवेट करता है और कहता है कि जीत कर ही आना। हां मेरी मां जरूर उस दिन पूजा करती हैं।
साल 2019 में विजेंदर सिंह ने दक्षिणी दिल्ली से कांग्रेस के टीकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन राजनीति में विजेंदर सफल नहीं हो सके।
कुछ मुख्य खेल उपलब्धियां
– विजेंदर सिंह ने 2001 में इटली में 54 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। ये इनका पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था।
– विजेंद्र ने सबसे पहले साल 2004 के एथेंस ओलंपिक में भाग लिया था लेकिन वह वेल्टर वेट वर्ग में तुर्की के मुस्तफ़ा कारागोलेयू से 20-25 से पराजित हो गए।
– 2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स में इंग्लैंड के नील पिरकिंस को सेमीफ़ाइनल में पराजित कर फाइनल में प्रवेश किया, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के बोनगानी मविलासी से पराजित हो गए और कांस्य पदक ही जीत सके।
– 2006 में ही दोहा ओलंपिक खेलों में मुक्केबाज़ी मिडिल वेट वर्ग में कज़ाकिस्तान के बख़्तियार अरतायेव से सेमीफ़ाइनल में 24-29 से पराजित होकर कांस्य पदक जीता।
– 2008 के बीजिंग ओलंपिक में 75 किलोग्राम वर्ग में विजेंदर ने ईक्वाडोर के मुक्केबाज़ कार्लोस गोंगोरा को 9-4 से हराकर कांस्य पदक हासिल किया।
– विजेंदर सिंह को 2009 में राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया था।