हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की आज सुबह पुलिस एनकांटर में मौत हो गई। पिछले कई दिनों से पुलिस विकास की तलाश में थी। लेकिन पूरे यूपी पुलिस को चकमा देकर विकास उज्जैन पहुंचने में कामयाब रहा जहां उसकी गिरफ्तारी एमपी पुलिस ने की। विकास दुबे उज्जैन महाकाल के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचा था। हर दिन वो दो घंटे पूजापाठ करता है।
दरअसल उसे यकीन हो गया था कि यूपी पुलिस के हत्थे चढ़ा तो वह मार दिया जाएगा। इसलिए अपनी मौत के आने से पहले विकास महाकाल की शरण में पहुंच गया। उज्जैन पुलिस की पूछताछ में उसने खुलासा भी किया है कि मंदिर परिसर पहुंचकर वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा था। यूपी एसटीएफ व पुलिस की टीम ने भी कई राज जानने की कोशिश की।
विकास दुबे ने पूछताछ में कबूला कि एनकाउंटर के डर से उसने पुलिस पर फायरिंग की। पूछताछ के दौरान विकास ने कहा कि महाकाल की शरण में आने के बाद मैं मंदिर परिसर में बैठकर बहुत रोया हूं। विकास से पूछताछ कर रही पुलिस उस वक्त हैरत में पड़ गई जब वह बोला कि मुझे पुलिसकर्मियों पर गोली चलाने और उन्हें मौत के घाट उतारने पर मजबूर किया गया।
विकास ने यह भी कबूला कि आठ पुलिसकर्मियों की मौत के बाद हम लोग सबूत भी मिटाना चाहते थे, इसलिए पुलिसकर्मियों के शव जलाने की फिराक में थे। शव जलाने के लिए हम तेल भी लाए थे। विकास ने ये भी कहा कि उस वक्त पुलिस बल न आता तो आठों के शव जला भी देता।
विकास ने बताया कि घटना से पहले मैंने अपने साथियों को हथियार के साथ बुलाया था और वारदात के बाद सभी को अलग-अलग भागने को कहा। आपको बता दें कि रात में उज्जैन से कानपुर के लिए निकली एसटीएफ की टीम कानपुर से थोड़ा पहले पहुंची ही थी कि काफिले में शामिल एक कार हाइवे पर पलट गई।
अभी तक मीडिया में आ रही खबरों की माने तो कार पलटने का फायदा उठाकर विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और दो-तीन किलोमीटर भागने के बाद उसे पुलिस ने गोली मार दी है। हालांकि पुलिस की कहानी पर सवाल भी खड़े हो गए हैं। विकास दुबे की कहानी खत्म होने के साथ ही सवालों के जवाब भी हमेशा के लिए दफन हो गए कि उसके अपराध में कौन-कौन से रसूखदार लोग शामिल थे।