विमानों की सुरक्षा पर सरकार, डीजीसीए को हाईकोर्ट के निर्देश

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नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से कहा है कि वह विमानों में वैकल्पिक सुरक्षा सुविधाओं की मौजूदगी का पता लगाने के लिए दलील पेश करें और इस पर दिशानिर्देश भी तैयार करे। मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की एक खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए डीजीसीए व नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इस पर निर्णय लेने को कहा।

वकील युगांश मित्तल द्वारा दायर याचिका में विमानों में वैकल्पिक सुरक्षा सुविधाओं की उपस्थिति की जांच के लिए एक समिति गठित करने और इसको विनियमित करने वाले दिशानिर्देशों के निर्धारण के लिए निर्देश की मांग की गई थी।


याचिका में वैकल्पिक सुरक्षा सुविधाओं, उनकी उपलब्धता और लागत पर डेटा एकत्र करने और भारत में सभी विमानों के लिए वैकल्पिक सुरक्षा सुविधाओं को अनिवार्य बनाने के लिए दिशानिर्देशों के लिए भी मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन. हरिहरन ने कहा कि डीजीसीए और मंत्रालय के पास वैकल्पिक सुरक्षा सुविधाओं पर पर्याप्त डेटा नहीं है।

आरोप लगाया गया कि एयरलाइन की ओर से विमानों में यात्रियों को वैकल्पिक सुरक्षा सुविधाओं की गंभीरता के बारे में अंधेरे में रखा गया है।


लायन एयर और इथियोपियन एयरलाइंस बोइंग-737 मैक्स-8 विमान के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा गया कि जांचकर्ताओं ने पाया कि दुर्घटनाग्रस्त दोनों विमानों में कुछ वैकल्पिक सुरक्षा सुविधाओं का अभाव था।

पर्याप्त सुरक्षा सुविधाओं का अभाव होने के कारण विमान के क्रैश होने की संभावना भी जताई गई।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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