विशाखा गाइडलाइंस धार्मिक जगहों के लिए नहीं : सर्वोच्च न्यायालय

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नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यौन उत्पीड़न समितियों की सिफारिशें धार्मिक संस्थानों में लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस याचिका पर न्यायिक आदेश पारित नहीं किया जा सकता, क्योंकि विशाखा गाइडलाइंस को धार्मिक जगहों के लिए विस्तार नहीं दिया जा सकता।


उन्होंने कहा, “आप आपराधिक शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराते। विशाखा गाइडलाइंस को धार्मिक जगहों पर कैसे विस्तार दिया जा सकता है।”

शीर्ष अदालत में जनहित याचिका विशाखा गाइडलाइंस को धार्मिक जगहों तक विस्तार दिए जाने की मांग के साथ दायर की गई थी। याचिका में आश्रम, मदरसा व कैथोलिक संस्थान को भी विशाखा गाइडलाइंस के दायरे में लाने की मांग की गई है, ताकि इन जगहों पर महिलाओं के यौन शोषण के तेजी से बढ़ते मामले पर रोक लगाई जा सके।

वकील मनीष पाठक ने याचिका में दावा किया कि धार्मिक जगह कार्यस्थल की जगह का हिस्सा हैं, क्योंकि यहां बहुत सी महिलाएं कार्यरत हैं। इसके अलावा यहां अन्य महिलाएं स्वैच्छिक रूप से कार्य करती हैं।


अगस्त, 1997 में शीर्ष अदालत ने विशाखा मामले में 12 गाइडलाइंड का निर्धारण किया, जिसका पालन नियोक्ताओं को महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए करना होता है।


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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