इन छह राज्यों में पानी के लिए मच सकता है हाहाकार, केंद्र ने जारी की एडवाइजरी

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गर्मियां आने के साथ ही देश के कई राज्यों में पानी का संकट भी आ सामने या है। आपको बता दें कि देश के छह राज्यों में गहरा गया है। यहां के बांधों में पानी गंभीर स्तर तक नीचे पहुंच गया है। केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर कहा, “मानसून आने तक पानी के इस्तेमाल में बरतें एहतियात। मानसून आने तक इन छह राज्यों को पानी का भीषण संकट झेलना पड़ेगा”।

आने वाले समय मे यह संकट और गहराने के आसार हैं। केंद्र सरकार ने छह राज्यों को ड्राउट एडवाइजरी यानी सूखे को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जारी दिशा-निर्देश में साफ कहा गया है कि 6 राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बांधों में पानी गंभीर स्तर तक नीचे पहुंच गया है।


गुजरात महाराष्ट्र के 27 जलाशयों में पानी और भी ज्यादा गंभीर स्तर तक पहुंच गया है. इन जलाशयों की क्षमता 31.26 बीसीएम है। जबकि 16 मई तक इनमें पानी का स्तर 4.10 बीसीएम पहुंच गया था। यानी जलाशयों की कुल क्षमता का मात्र 13 फीसदी ही पानी बचा है। पिछले साल इस वक्त इन जलाशयों में कुल पानी का 18 फीसदी जल मौजूद था।

तेलंगाना में 2 जलाशय, आंध्र प्रदेश में 1, कर्नाटक में 14, केरल में 6 और तमिलनाडु में भी 6 जलाशय हैं। इन जलाशयों की साझा जल संचयन क्षमता 51.59 बीसीएम है। जबकि इनमें 6.86 फीसदी पानी ही बचा है। यानी कुल जल संचयन क्षमता का महज 13 फीसदी पानी यहां बचा है।

सेंट्रल वाटर कमीशन के मुताबिक देश के 91 जलाशयों में कुल जल क्षमता का केवल 22 फीसदी पानी बचा है। इन जलाशयों की जल संचयन क्षमता 161.993 बिलियन क्यूबिक मीट्रस (बीसीएम) है। सेंट्रल वाटर कमीशन के सदस्य एस के हलदर ने बताया, ”ड्राउट एडवाइजरी उस वक्त जारी की जाती है जब जलाशयों में पानी का स्तर पिछले दस सालों के औसत से 20 फीसदी नीचे चला जाता है।” पानी का संकट क्या अभी और बढ़ने वाला है, क्योंकि एडवाइजरी में पानी को एहतियात के साथ इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है? हलदर कहते हैं,” जलाशयों के पानी का इस्तेमाल तीन प्रमुख कार्यों के लिए होता है, पहला पीने का पानी, दूसरा औद्योगिक इस्तेमाल और तीसरा सिंचाई के लिए। पीने के पानी में कट किया नहीं जा सकता, इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के पानी को देना ही होगा, इसलिए सबसे पहले रोक लगानी होगी तो सिंचाई के पानी पर लगेगी”।


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