क्या होती है सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच, शीर्ष अदालत में क्यों होती है इतनी छुट्टियां?

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Madhya Pradesh Crisis: सुप्रीम कोर्ट में बहुमत परीक्षण को लेकर आज भी सुनवाई

स्कूलों की तरह ही देश के सर्वोच्च न्यायालय में हर साल दो बड़ी छुट्टियां होती हैं। सर्दी की छुट्टियां और गर्मी की छुट्टियां। जिसे अंग्रेजी में क्रमशः समर और विंटर वेकेशन कहा जाता है। हालाँकि, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट तकनीकी तौर पर पूरी तरह बंद नहीं रहता और जरूरी मामलों की सुनवाई के लिए 13 में से कम-से-कम एक पीठ(बेंच) उपलब्ध रहती है। इसे अवकाश पीठ या वेकेशन बेंच कहा जाता है।

इस साल सुप्रीम कोर्ट में गर्मियों की छुट्टियां 13 मई से शुरू हो गयी हैं और 30 जून तक चलेगी। कोर्ट में होने वाली 137 दिनों की छुट्टी (रविवार, त्योहारों और साल के अंत के 14 दिनों की छुट्टियों सहित) में यह सबसे बड़ी है। हर साल की भांति इस साल भी वेकेशन पीरियड में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एमआर शाह की पीठों में सुनवाई होगी। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब वेकेशन बेंच में मुख्य न्यायाधीश भी शामिल होंगे।


सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, इस साल 25 से 30 मई के बीच लगने वाली वेकेशन बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल होंगे। यह बेंच सरकार बनने के दौरान उठने वाले किसी भी मामले की सुनवाई करेगी। दरअसल, 23 मई को लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित किये जाने हैं और किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में सरकार के गठन पर विवाद हो सकता है। इस विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट में ही हो सकता है।

पिछले साल वेकेशन बेंच ने की थी कर्नाटक पर सुनवाई

आपको याद दिला दें कि पिछले साल मई में शीर्ष न्यायालय ने कर्नाटक विधानसभा के मामले पर सुनवाई की थी। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। मगर राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

तब शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय बेंच में जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस अशोष भूषण शामिल थे। तीनों जजों ने सदन में फ्लोर टेस्ट करवाए जाने का आदेश दिया था। राज्यपाल के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए दी गई समय सीमा को भी कम किया गया था।


सुप्रीम कोर्ट में क्यों होती हैं इतनी छुट्टियां?

यूँ तो सभी सरकारी और निजी संस्थानों में छुट्टियों का कोटा होता है। मगर, अदालतों के लिए सामान्य से अधिक छुट्टियां दी जाती है। इसका इतिहास साल 1860 से है, जब ये अदालतें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा स्थापित की गई थीं। उस समय के सभी न्यायाधीश अंग्रेज थे और उन्हें जहाज से घर की यात्रा करने और वापस आने के लिए लंबे अवकाश की जरूरत होती थी। इसलिए लंबी छुट्टियों का प्रावधान किया गया था। तब से यह परंपरा देश में चली आ रही है। हालांकि, परिवहन के माध्यमों की तरक्की के बाद दूरियां सिमट चुकी हैं लेकिन कोर्ट की छुट्टियां कम नहीं हुई हैं।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक याचिका में मांग की गई थी कि लंबित मामलों को कम करने के लिए अदालत की छुट्टियों को कम किया जाए। बताते चलें कि इस वक्त देश में 3 करोड़ से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं। छुट्टियों के अलावा मामलों के लंबित होने का एक बड़ा कारण न्यायाधीशों की अपर्याप्त संख्या भी है। प्रति 10 लाख लोगों पर ऑस्ट्रेलिया में 58 जज, यूके में 100 जज और अमेरिका में 130 जजों की तुलना में हमारे देश में सिर्फ 13 न्यायाधीश हैं।

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