रेपो रेट के घटने से मिडिल क्लास की जेब पर क्या असर पड़ेगा?

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रेपो रेट के घटने से मिडिल क्लास की जेब पर क्या असर पड़ेगा?

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में वाणिज्यिक बैंकों के लिए 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की। इस तरह रेपो रेट घटकर 5.75 फीसदी हो गई है। इस साल रेपो रेट में तीसरी बार कटौती की गई है। आरबीआई ने अप्रैल ने अपने प्रमुख ब्याज दरों में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती की थी, जिसके बाद यह 6 फीसदी हो गया था। इससे पहले फरवरी में एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने 25 बीपीएस की कटौती की थी, जिसके बाद रेपो रेट 6.25 फीसदी रह गयी थी।

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि ऋण मुहैया करवाता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों से जमा प्राप्त करता है। आइये हम आपको बताते हैं कि रेपो रेट घटाने से मिडिल क्लास की जेब पर क्या असर पड़ेगा?


कम होगी लोन की ईएमआई

इससे आवास व ऑटो कर्ज सस्ते होंगे। ऑटोमोबाइल और आवासीय ऋणों की दरों में कमी से आगे आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी। फिलहाल, उच्च ब्याज दरें और तरलता (लिक्विडिटी) के संकट के कारण वाहन, आवास और पूंजीगत वस्तुओं के खरीदारों की भावनाएं हतोत्साहित हैं। रेपो रेट या वाणिज्यिक बैंक के अल्पकालिक कर्ज दर में कमी होने से वाहन और आवास ऋण की ब्याज लागत कम हो जाती है, जिससे इन क्षेत्रों में वृद्धि दर तेज हो जाती है।

आरबीआई के नीतिगत बयान में कहा गया, “निवेश गतिविधियों में तेज गिरावट के साथ निजी खपत की वृद्धि दर में मंदी चिंता का विषय है। मुद्रास्फीति की उच्च दर हालांकि लक्ष्य से कम है। इसलिए आरबीआई को रेपो रेट में कटौती का मौका मिला है।” हालांकि शेयर बाजार के निवेशक रेपो दर में उम्मीद से कम कटौती होने के कारण निराश हैं। गुरुवार को सेंसेक्स 553.82 अंकों या 1.38 फीसदी की गिरावट के साथ 39,529.72 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 177.90 अंकों या 1.48 फीसदी की गिरावट के साथ 11,843.75 पर बंद हुआ।

(इनपुट: आईएनएस)


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