श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘कामिका एकादशी’ (Kamika Ekadashi) कहा जाता है। अन्य एकादशियों की तरह हिंदू धर्म में इस एकदशी का भी अपना ही खास महत्व होता है। इस बार 28 जुलाई को यह एकदशी मनाई जाएगी।
मान्यता है कि कामिका एकादशी स्मरण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
क्या है एकादशी का महत्व?
सनातन धर्म में साल भर में 24 एकादशी होती हैं। इन एकादशियों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके महत्व को इस बात से समझा जा सकता है। जैसे नदियों में गंगा, प्रकाश तत्वों में सूर्य और देवताओं में विष्णु सबसे अहम हैं, वैसे ही व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण होता है। सभी एकादशियों में नारायण के समान फल देने की शक्ति होती है। इस व्रत को करने के बाद और कोई पूजा करने की आवश्यकता नहीं होती।
क्यों महत्वपूर्ण है कामिका एकादशी?
कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। पुराणों के अनुसार, सावन माह में पड़ने के कारण इस एकादशी का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है।
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इस व्रत को करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।
भगवान विष्णु को करें प्रसन्न
कामिका एकादशी के दिन शंख, चक्र गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों से भक्तिपूर्वक पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण ने कहा है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान के सामने घी अथवा तिल के तेल का दीपक जलाता है, चित्रगुप्त भी उसके पुण्यों की गिनती नहीं कर पाते हैं।
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कामिका एकादशी पर कादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। इसके साथ ही भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का यथासंभव जप और विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
कामिका एकादशी व्रत के नियम
कामिका एकादशी व्रत करने के लिए तीन दिन का एक नियम होता है। यानी कि दशमी, एकादशी और द्वादशी को कामिका एकादशी के नियमों का पालन करना होता है।
- सावन मास की इस एकादशी के तीन दिनों के दौरान चावल, लहसुन, प्याज और मसुर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इस दौरान मांस और मदिरा का सेवन भी वर्जित होता है।
- दशमी के दिन सिर्फ एक ही समय भोजन ग्रहण करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प करना चाहिए।
- एकादशी की रात को जागरण करना चाहिए इस दिन जागरण करना भी व्रत का ही हिस्सा होता है।
- एकादशी के नियमों के अनुसार इस दिन दातुन की बजाय अपनी उंगली से ही दांत साफ करने चाहिए, क्योंकि एकादशी के दिन पेड़ पौधों को तोड़ते नहीं है इस दिन किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए।
- तीन दिन तक पूरे मन से व्रत करते हुए द्वादशी के दिन पूजा कर पंडित को यथाशक्ति दान देना चाहिए और उसके बाद पारण करना चाहिए।