साल 1975 में आई सुपर डुपर हिट फिल्म ‘शोले’ में दमदार अभिनय करने वाले मोहन माकिजानी का जन्म 24 अप्रैल 1938 में कराची में हुआ। शोले में उनके मजबूत और जानकार डायलॉग के लिए आज भी दुनिया उन्हें याद करती है। मोहन वहीं, जिन्होंने शोले में सबसे मश्हूर करैक्टर में से एक सांभा का किरदार अदा किया था। इस फिल्म में उन्होंने सिर्फ तीन शब्द का डायलॉग ‘पूरे पचास हजार’ इस अंदाज बोला की आज भी ये लोगों की जबान पर ताजा है। फिल्म निर्माण के दौरान वह अपने इस रोल से खुश नहीं थे और रोने लगे थे।
मोहन माकिजानी को मैक मोहन के नाम से भी जाना जाता है। आप यह जानते होंगे कि हिंदी सिनेमा की अब तक की सबसे बड़ी फिल्म ‘शोले’ में मैक मोहन ने सांभा का किरदार निभाया है। और आप यह भी जानते होंगे कि लगभग तीन घंटे लंबी फिल्म में सांभा ने सिर्फ एक ही संवाद बोला है। और वह है ‘पूरे पचास हजार’। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस छोटे से संवाद के लिए मैक मोहन को मुंबई से बेंगलुरु 27 बार यात्रा करनी पड़ी थी। शुरुआत में फिल्म में उनका किरदार थोड़ा लंबा था। लेकिन, फिल्म को संपादित होने के बाद सिर्फ तीन शब्द ही बचे।
मैक मोहन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि शोले की शूटिंग एक छोटे से गांव रामनगर में की गई। लोकेशन पर पहुंचने में पूरा एक घंटा लग जाता था। सभी सुबह 5 बजे उठा करते थे। फिर 6 बजे होटल से निकलते और 7-7:30 लोकेशन पर पहुंचते’ जब पूरी फिल्म का फाइनल ट्रायल देख रहे थे तो वह अचानक छोटे बच्चों की तरह फफक कर रोने लगे क्योंकि उनका रोल बहुत छोटा सा रह गया था। वहां सभी मौजूद थे अमिताभ, धर्मेंद्र वगैरह। रमेश सिप्पी ने मैक से पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो ? मैक ने कहा कि मेरा रोल तो बहुत छोटा सा रह गया, आप इसे भी काट दीजिए। तब उन्होंने मैक से कहा था कि अगर ये फिल्म हिट हो गई तो तुम्हें एक नई पहचान मिल जाएगी और अमर हो जाओगे’
मैक मोहन 2010 में इस दुनिया को छोड़कर चले गए थे
मोहन की जोया अख्तर की फिल्म ‘लक बाई चांस’ उनके करियर की आखिरी मूवी थी। साल 2009 में वो फिल्म ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ के लिए शूट कर ही रहे थे कि अचानक उनकी तबियत खराब हो गई और उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। 71 साल के मैक को लंग कैंसर हुआ था। साल 2010 तक की मई तक वो हॉस्पिटल में एडमिट रहें। 10 मई 2010 को वो हमेशा के लिए दुनिया को छोड़कर चले गए।