World Blood Donor Day 2019 : आधुनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन के पितामह कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन पर मनाया जाता है यह दिवस

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World Blood Donor Day 2019 : आधुनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन के पितामह कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन पर मनाया जाता है यह दिवस

आज विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) है। हर साल 14 जून को दुनिया भर में यह दिन मनाया जाता है। इस दिन रक्त दान (Blood Donation) को बढ़ावा दिया जाता है।

रक्तदान एक महादान है। किसी के द्वारा किये गए रक्तदान से किसी अन्य की जान बचाई जा सकती है। रक्तदान करने वाले लोगों के शरीर में कोई खासा कमी नहीं होती, लेकिन इसे किसी और को नया जीवन मिल जाता है। वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मनाने मुख्य उद्देश्य लोगों को इस महा दान के जागरूक करना है, ताकि लोग इसके महत्व को समझे और रक्तदान करें।


‘वर्ल्ड ब्लड डोनर डे’ का महत्व

रक्तदान के महत्त्व को सब जानते हैं, लेकिन आज भी लोग इसके प्रति इतने जागरूक नहीं है। लोग खून देने और लेने, दोनों से डरते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) दुनिया भर में रक्तदान को लेकर जागरुकता अभियान चलाता रहता है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा रक्तदान के महत्व को समझाया जाता है और इसे बढ़ावा दिया जाता है।

14 जून को ही क्यों मनाया जाता है ‘वर्ल्ड ब्लड डोनर डे’?

यह दिन दुनिया भर में रक्तदान से जुड़ा हुआ है, लेकिन क्या आपको पता है इसकी शुरुआत कैसे हुई? इस दिन को मनाने के पीछे डॉक्टर कार्ल लैंडस्टीनर (Karl Landsteiner) हैं। कार्ल को आधुनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन का पितामह कहा जाता है। वह एक प्रसिद्ध जीवविज्ञानी और भौतिकविद थे। उन्ही के जन्मदिन के अवसर को 14 जून को ‘वर्ल्ड ब्लड डोनर डे’ के रूप में मनाया जाता है।

कार्ल ने ही खून में अग्गुल्यूटिनिन के आधार पर खून को अलग- अलग वर्गों में विभाजित किया था। साल 1901 में कार्ल ने A,B,O जैसे ब्लड ग्रुप का पता लगाया। साल 1909 में उन्होंने पोलियो वायरस का भी पता लगाया। इसके बाद ही पोलियो को नियंत्रित करने का अभियान शुरू किया गया। कार्ल की सबसे महत्वपूर्ण खोज में ब्लड ग्रुप को अलग-अलग करने से जुड़े सिस्टम का पता लगाना और एलेग्जेंडर वेनर के साथ मिलकर 1937 में रेसस फैक्टर का पता लगाना है, जिसकी वजह से ब्लड डोनेट करना मुमकिन हो पाया। उनकी इसी खोज से आज करोड़ों से ज्यादा रक्तदान रोजाना होते हैं और लाखों की जिंदगियां बचाई जाती हैं।


कार्ल को उनके योगदान के लिए वर्ष 1930 में ‘शरीर विज्ञान’ में नोबेल पुरस्कार दिया गया था और उनके जन्मदिन को वर्ल्ड ब्लड डोनर डे के रूप में मनाने की शुरुआत हुई।

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