अगले 20 साल में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में होगी भारी गिरावट, फिर होगी ये चुनौती

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साल 2035 तक भारत की जनसंख्या में घटेगी युवाओं की संख्या, वृद्धों की संख्या में होगी बढ़ोतरी

हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या और उससे जुड़े मुद्दों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है। आज भारत के लिए बढ़ती जनसंख्या परेशानी का सबब बनी हुई है। देश की आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रही है उसे देखकर ये कल्पना करना कठिन है कि इस पर कभी लगाम भी लग सकती है। लेकिन हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जनसंख्या वृद्धि दर से जुड़ा एक बड़ा बयान दिया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2018-19 की आर्थिक समीक्षा (इकोनॉमिक सर्वे) पेश करते हुए भारत की जनसंख्या के बारे में कहा कि आने वाले दो दशकों में देश जनसंख्या वृद्धि दर में काफी गिरावट देखेगा।


2021-41 तक जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट

वित्त मंत्री ने कहा कि अगले दो दशकों में देश में जनसंख्या और लोगों की आयु संरचना के पूर्वानुमान नीति-निर्धारकों के लिए स्वास्थ्य सेवा, वृद्धों की देखभाल, स्कूल सुविधाओं, सेवानिवृत्ति से संबंधित वित्तीय सेवाएं, पेंशन कोष, आयकर राजस्व, श्रम बल, श्रमिकों की हिस्सेदारी की दर तथा सेवानिवृत्ति की आयु जैसे मुद्दों से जुड़ी नीतियां बनाना बड़ा काम होगा।

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इस आर्थिक समीक्षा में जनसंख्या वृद्धि से जुड़े रुझानों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि देश में राज्य स्तर पर जनसंख्या वृद्धि से जुड़ी विभिन्नता दिखने को मिलेगी। इस समीक्षा में बताया गया है कि जिन राज्यों में जनसंख्या का स्वरूप तेजी से बदल रहा है वहां जनसंख्या वृद्धि दर साल 2031 से लेकर 2041 तक लगभग शून्य में बदल जाएगी। इतना ही नहीं जिन राज्यों में जनसंख्या संरचना बदलाव धीमी गति से हो रहा है वहां भी साल 2021 से लेकर 41 तक जनसंख्या वृद्धि दर में काफी गिरावट देखी जाएगी।


इस आर्थिक समीक्षा में जनसंख्या से जुड़ी एक और अहम बात पर चिंता जताई गई। समीक्षा में बताया गया कि 0-19 वर्ष के युवाओं की संख्या साल 2011 के उच्चतम स्तर 41 प्रतिशत के मुकाबले साल 2041 में यह प्रतिशत घटकर महज 25 प्रतिशत रह जाएगा। जबकि दूसरी ओर, देश की आबादी में 60 वर्ष उम्र वर्ग वाले लोगों की संख्या 2011 के 8.6 प्रतिशत से बढ़कर 2041 तक 16 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। 2021-31 के बीच कामकाजी आबादी की संख्या 97 लाख प्रति वर्ष की दर से बढ़ेगी जो कि साल 2031-41 के बीच घटकर 42 लाख प्रति वर्ष रह जाएगी।


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