World Tuberculosis Day : समय से इलाज ना हो तो जानलेवा बन जाती है टीबी

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World Tuberculosis Day : समय से इलाज ना हो तो जानलेवा बन जाती है टीबी

हर साल 24 मार्च को World Tuberculosis Day मनाया जाता है। डॉ. रॉबर्ट कॉच ने 1882 में इसी दिन ट्यूबरक्लोसिस की असली वजह टीबी बेसिलस, माइकोबैक्टीरियम जीवाणु की खोज की थी। इस खोज ने वैश्विक महामारी टीबी को समाप्त करने की दिशा में स्थिति और संभावित समाधानों के निदान की संभावनाओं को खोल दिया। उसी दिन से ये दिन विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। दुनियाभर में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं। ‘वर्ल्ड टीबी डे’ सेलिब्रेट करने का मकसद लोगों के बीच इसे लेकर जागरूकता फैलाना है।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, अकेले 2017 में दुनिया भर में 10 मिलियन लोग टीबी के शिकार हुए। विश्व में लगभग 7.9 प्रतिशत टीबी के मामले धूम्रपान से जुड़े हैं। ये आंकड़े चिंताजनक हैं। टीबी एक फैलने वाली (कम्युनिकेबल) बीमारी है इसलिए ये बीमारी और घातक हो जाती है।


विश्व टीबी दिवस 2019 की थीम है- ‘ईट्स टाइम’ यानि ‘यही समय है। इसका उद्देश्य है 2022 तक टीबी से प्रभावित 40 मिलियन लोगों का इलाज करने, दुनिया को टीबी से छुटकारा दिलाने, और समय पर कार्यवाई करके समर्पित रहने के लिए की गई प्रतिबद्धता को मुख्य एजेंडे में शामिल करना।

टीबी के कारण और लक्षण

टीबी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो कई तरह से फैलता है। जैसे बोलना, खाँसना, छींकना, थूकना आदि से। टीबी के कुछ लक्षण हैं खांसी जो तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहती है। खांसी में खून आना, सांस लेते या खांसते समय सीने में दर्द होना या भूख नहीं लगना, अकारण वजन का कम होना, थकान, बुखार या रात को पसीना आना यदि ।

टीबी के संक्रमण का खतरा

2017 के डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि 0-14 वर्ष के बीच 1 मिलियन बच्चे टीबी के शिकार हुए। एचआईवी से जुड़े टीबी के कारण 2,30,000 लोगों की मौत हो गई। विकासशील देशों में इस बीमारी का खतरा अधिक है। इन देशों में 95 प्रतिशत से अधिक मामलों सामने आए थे। यह बीमारी दूसरों की तुलना में एचआईवी वाले व्यक्तियों को प्रभावित करने की 20-30 गुना अधिक है। इसके अलावा, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को भी इसका अधिक खतरा है। धूम्रपान या तंबाकू का सेवन इसेकमुख्य कारणों में से एक है।


टीबी का इलाज सम्भव है

टीबी की दवाएं सरकारी अस्पतालों या सामुदायिक डॉट्स केंद्रों से मुफ्त में खरीदी जा सकती हैं। सही दवा की खुराक और अच्छी जीवनशैली से कोई भी व्यक्ति टीबी को हरा सकता है। दवाई की खुराक और अवधि रोगी पर निर्भर है । उपचार को बीच में छोड़ने मरीज के लिए घातक हो सकता है।

उपचार से भला बचाव

अगर घर या ऑफिस में कोई व्यक्ति टीबी का एक रोगी है, तो दूसरों को इससे प्रभावित होने से रोका जा सकता है। इसे निवारक दवा प्रोटोकॉल, बेहतर पोषण स्तर और स्वच्छता के जरिए भी फैलने से रोका जा सकता है। टीबी के लिए एक वैक्सीन भी है जिसे बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) कहा जाता है।

टीबी को नियंत्रित करने की दिशा में भारत का प्रयास

भारत सरकार द्वारा देश को टीबी-मुक्त बनाने के लिए 2025 का लक्ष्य रखा गया है। देश में 2016 से 2017 के बीच टीबी के मामलों में 1.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।  साथ ही मौतों की संख्या भी कमी आई है। लेकिन अभी भी कई कदम उठाने बाकी हैं।

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