जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पानी की एक- एक बूंद किमती है। हर साल विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम पर्यावरण तथा विकास’ में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई तथा वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता
इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है। यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि बताना है। लेकिन क्या वाकई हम पानी का सही इस्तेमाल करते हैं। क्या दुनिया में सभी लोगों को जरूरत के हिसाब से पानी मिल पा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 400 करोड़ लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है जिसमें 25 फीसदी भारतीय भी शामिल हैं। देश का 50 फीसदी हिस्सा सूखा की चपेट में है।
75 फीसदी घरों में पीने का साफ पानी नहीं है
वाटर एड संस्था की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कुल जमीनी पानी का 24 फीसदी भारतीय उपयोग करते हैं। देश में 1170 मिमी औसत बारिश होती है, लेकिन हम इसका सिर्फ 6 फीसदी पानी ही सुरक्षित रख पाते हैं। एक रिपोर्ट में भारत को चेतावनी भी दी गई है कि यदि भूजल का दोहन नहीं रूका तो देश को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। 75 फीसदी घरों में पीने के साफ पानी की पहुंच ही नहीं है। केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड द्वारा तय मात्रा की तुलना में भूमिगत पानी का 70 फीसदी ज्यादा उपयोग हो रहा है।
पानी का सुद्पयोग करें
रिपोर्टस के मुताबिक भारत में पानी का सही इस्तेमाल नहीं होता बल्कि रोज़ वाहन धोने में ही करोड़ों लीटर पानी खर्च हो जाता है। भारत में महिलाएं पानी के लिए औसतन प्रतिदिन लगभग 6 किलोमीटर का सफर तय करती हैं। दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
देश विदेश में स्वच्छ पानी की समस्या पर यदि समय रहते नहीं ध्यान दिया गया तो आने वाले दिनों में हालात गंभीर हो सकते हैं।