यूके में पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी अलगाववादियों का भारत विरोधी वेबिनार

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लंदन, 4 जून (आईएएनएस)। यूके में पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी अलगाववादियों ने एक वर्चुअल कांफ्रेंस का आयोजन किया जिसमें मुख्य रूप से भारत विरोधी रुख रखने वाले लेबर पार्टी के नेताओं की भागीदारी रही।

इस ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन जम्मू-कश्मीर सेल्फ डिटरमिनेशन मूवमेंट इंटरनेशनल (जेकेएसडीएमआई) ने किया जिसके चेयरमैन राजा नजाबत हुसैन हैं।


इसके वक्ताओं में ओल्ढम ईस्ट व सैडलवर्थ की सांसद डेबी अब्राहम्स भी शामिल थीं जिनका पाकिस्तान समर्थित राजा नजाबत हुसैन से घनिष्ठ संबंध हैं।

भारतीय अधिकारियों ने इस साल फरवरी महीने में डेबी का वीजा खारिज कर दिया था। वह यूके के कश्मीर संबंधित एक संसदीय समूह की प्रमुख हैं और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा रद्द करने की आलोचक रही हैं।

डेबी के प्रोफाइल ने भारत में उन्हें लेकर संदेह को जन्म दिया। अधिकारियों के पास इस बात को मानने के कारण हैं कि उनके ऐसे लोगों और संगठनों से संपर्क हैं जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के भारत विरोधी प्रोपेगेंडा के लिए काम करते हैं। भारत में दाखिल होने ली अनुमति नहीं मिलने के बाद वह पाकिस्तान गई थीं जहां उनका राजकीय अतिथि जैसा स्वागत किया गया था।


वेबिनार को संबोधित करने वालों में पाकिस्तान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी भी शामिल थे।

आनलाइन सेमिनार में जिन लोगों ने हिस्सा लिया उनमें लेबर पार्टी के 20 नेता व सांसद थे। लेकिन, कंजरवेटिव पार्टी के केवल छह नेताओं को न्योता दिया गया।

लेबर पार्टी नेताओं में पाकिस्तानी मूल की लेबर सांसद यासमीन कुरैशी, एक अन्य पाकिस्तानी मूल के लेबर सांसद अफजल खान और ब्रिटेन के पहले सिख सांसद तनमनजीत सिंह धेसी भी शामिल थे।

धेसी का रुख कश्मीर पर हमेशा से पाकिस्तान के अनुकूल रहा है, हालांकि खुद उनके समुदाय के सदस्य पाकिस्तान के सीमापार आतंकवाद के शिकार रहे हैं।

दिसंबर 2019 में हुए आम चुनाव में लेबर पार्टी को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ)-यूके का बिना शर्त समर्थन मिला था। आतंकी संगठन जेकेएलएफ भारत में प्रतिबंधित है। यह पहला ऐसा संगठन है जिसने 1980 के दशक में भारत के खिलाफ पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की शुरुआत की थी और कश्मीरी पंडितों व अन्य नागरिकों को निशाना बनाया था।

सितंबर 2019 में लेबर पार्टी ने इमरजेंसी मोशन पारित किया था जिसमें पार्टी नेता जेरमी कोर्बिन से कहा गया था कि वह क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के ‘दाखिले’ के लिए प्रयास करें और इसमें लोगों के लिए आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग की गई थी।

इसके बाद, ब्रिटिश-भारतीय संस्थाओं ने कोर्बिन पर ब्रिटेन की घरेलू राजनीति में भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय मामलों को घुसाने का आरोप लगाया।

चुनाव में लेबर पार्टी हारी, कोर्बिन ने नेता पद से इस्तीफा दिया और नए नेता सर कीर स्टारमर ने लेबर फ्रेंड्स आफ इंडिया समूह की कार्यकारी टीम से मुलाकात के बाद लेबर पार्टी की कश्मीर नीति में बदलाव किया।

उन्होंने कहा था, “हमें उपमहाद्वीप के मुद्दों का इस्तेमाल यहां समुदायों में विभाजन डालने के लिए नहीं करना चाहिए। भारत में कोई भी संवैधानिक मुद्दा भारतीय संसद के विचार के लिए है और कश्मीर, भारत व पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है जिसका समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए।”

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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