शिमला, 26 जुलाई (आईएएनएस)| भारतीय सेना ने शुक्रवार को घोषणा की है कि वह 1968 में हुए विमान हादसे के 51 साल बाद एक बार फिर विमान में सवार 90 से अधिक लोगों के शवों को खोजने जा रही है।
हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में 51 साल पहले भारतीय वायु सेना का एन-12 ट्रांस्पोर्ट एयरक्रफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में विमान में सवार सभी 102 जवान मारे गए थे।
फरवरी 1968 में विमान चंडीगढ़ एयरफोर्स बेस पर वापस आते समय रोहतांग पास के ऊपर से लापता हो गया था।
2003 में एक पर्वतारोहण अभियान में विमान के मलबे को खोजा गया था, जिसमें से पांच शव बरामद हुए थे, अन्य अवशेष अभी भी लापता हैं।
भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि ट्रिपक ब्रिगेड कमांडर ने अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। दुर्घटना स्थल वाले ढाका ग्लेशियर (17,292 फीट) के लिए 13,400 फीट की ऊंचाई पर स्थित बट्टल से ट्रेकिंग शुरू होगी।
टीम कई जगहों पर दरारों वाले कई ग्लेशियरों की यात्रा करेगी। टीम 3 अगस्त से खोज अभियान शुरू करेगी और पाए जाने पर नश्वर अवशेषों को निकालने और प्राप्त करने का प्रयास करेगी।
दुर्घटना के बाद से ही ऐसी अफवाहें हैं कि शायद एयरक्राफ्ट दुश्मन देश की सीमा के पार चला गया होगा और क्रैश होने पर सभी सवार लोगों को बंधक बना लिया गया होगा।
हालांकि पर्वतारोहण अभियान में लापता हवाई जहाज के रहस्य से परदा उठा, जब ढाका ग्लेशियर के पास विमान का मलबा मिला था। इस के अलावा लापता विमान में एक सैनिक का पहचान पत्र मिला था।
इस खोजी अभियान ने लापता यात्रियों के परिवारों को आशा की एक नई किरण दी है ताकि वह शव मिलने के बाद उनका अंतिम संस्कार कर सकें।
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