मुंबई, 24 जनवरी (आईएएनएस)| वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट्स (वीपीएज) और अन्य चैटबॉट्स लोगों के प्रदर्शन में वृद्धि करेंगे और साल 2021 तक करीब 70 फीसदी संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को अपने कार्यस्थल में समेकित करेंगे, ताकि कर्मचारियों की मदद की जा सके।
मार्केट रिसर्च फर्म गार्टनर ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
गार्टनर के वरिष्ठ शोध निदेशक हेलेन पोइटविन ने कहा, “डिजिटल कार्यस्थलों के नेतृत्वकर्ता एआई-आधारित तकनीकों जैसे वर्चुअल असिस्टेंट या अन्य एनएलपी-आधारित संवादी एजेंटों और रोबोटों को कर्मचारियों के कार्यो और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से लागू करेंगे।”
हालांकि, पहले की गई इस प्रकार की कोशिशें ज्यादा सफल नहीं रही हैं, क्योंकि गलत तरीके से डिजायन किए गए डिजिटल असिस्टेंट्स बुरा व्यवहार करते और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते दिखे, जिससे कर्मचारियों में निराशा पैदा होती है।
पोइटविन ने कहा, “एआई एजेंट्स की सही तरीके से निगरानी जरूरी है, ताकि डिजिटल प्रताड़ना और निराशाजनक यूजर अनुभव को रोका जा सके, अन्यथा ये कामकाजी वातावरण को जहरीला बना सकते हैं।”
गार्टनर ने कहा कि हाल के प्रयोगों से यह भी पता चलता है कि एआई प्रौद्योगिकीयों के साथ लोगों द्वारा बुरा व्यवहार किया जाता है, इससे वे भी मनुष्यों के साथ बुरा व्यवहार करना सीख जाते हैं, इसलिए संगठनों को वीपीएज को आक्रामक भाषा का उचित जवाब देने के लिए प्रशिक्षित करना होगा।
इसके बावजूद एआई, वीपीए और चैटबॉट्स के कार्यस्थल पर बढ़ते इस्तेमाल से करीब 10 फीसदी संगठन अपने कार्यस्थल नियमन में डिजिटल प्रताड़ना नीति को भी शामिल करेंगे।
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