नई दिल्ली: भारत में लगभग 80 प्रतिशत कॉर्पोरेट बैंकों की ओर से अपने व्यापार वित्त और ट्रेजरी वर्कलोड (Treasury workload) को 2024 तक क्लाउड पर चलाने का अनुमान लगाया गया है। शुक्रवार को आईडीसी की एक हालिया रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 तक महामारी की अनिश्चितता का मुकाबला करने के लिए 60 प्रतिशत कॉर्पोरेट बैंक क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल को फिर से जारी करेंगे और लोन पोर्टफोलियो हेल्थ में सुधार के लिए एक खुली डेटा रणनीति को प्राथमिकता देंगे।
विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में, भारत का कॉर्पोरेट बैंकिंग क्षेत्र अभी भी उत्पाद और सेवा की पेशकश के मामले में अपरिपक्व (शुरूआती स्तर पर) है।
आईडीसी फाइनेंशियल इनसाइट्स एशिया/पैसिफिक में अनुसंधान निदेशक गणेश वासुदेवन ने अपने एक बयान में कहा, भारत में पिछले कुछ वर्षों के दौरान कॉपोर्रेट बैंकिंग पहुंच से बाहर बनी हुई है, लेकिन आगे जाकर कोविड-19 महामारी के खतरे के मद्देनजर यह परि²श्य बदल सकता है।
महामारी ने सीएफओ को नकदी (लिक्विडिटी) के प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया है। इसके जवाब में 55 प्रतिशत कॉर्पोरेट बैंक पूर्वानुमानित नकदी प्रबंधन का समर्थन करने के लिए निवेश करेंगे और 60 प्रतिशत देश में 2024 तक डेटा और कनेक्टिविटी क्षमताओं को अपग्रेड करेंगे।
वहीं वर्ष 2021 में आर्थिक गतिविधियों में तेज सुधार की संभावना के साथ भारत में कॉर्पोरेट बैंकिंग को पुर्नप्राप्ति के मार्ग में एक महत्वपूर्ण विकास की उम्मीद है, क्योंकि बैंकों ने प्रौद्योगिकी और नवाचारों का लाभ उठाते हुए अपने कॉर्पोरेट ग्राहक अनुभव (सीएक्स) को एक डिजिटल पैमाने पर रि-डिजाइन किया है।
–आईएएनएस
This post was last modified on February 19, 2021 4:36 PM
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