नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। आईएएनएस सी-वोटर तिब्बत पोल के अनुसार, 46 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि विभिन्न वैश्विक मंचों पर मानवाधिकार संगठनों द्वारा तिब्बती मुद्दे पर मदद करने के लिए पर्याप्त कार्य किया गया है, जबकि 32.5 प्रतिशत को अन्यथा लगता है, जबकि 21 प्रतिशत लोग मुद्दे पर निर्णय नहीं ले पाए।
सर्वेक्षण में देश भर में फैले 3,000 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया था।
देश के शहरी क्षेत्रों में 44 प्रतिशत लोग तिब्बती मुद्दे पर वैश्विक अधिकार निकायों के कार्यों से संतुष्ट हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 47.5 प्रतिशत तक है।
वहीं देश के पूर्वी हिस्से में बसे 51 प्रतिशत भारतीयों को लगता है कि तिब्बत के लोगों की मदद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों द्वारा पर्याप्त कार्य किया गया है, जबकि पूर्वोत्तर के 50 प्रतिशत लोग भी ऐसा ही मानते हैं। हालांकि, केंद्र शासित प्रदेशों में सिर्फ 25 फीसदी लोगों को ही ऐसा लगता है, जबकि उनमें से 50 फीसदी लोग इस मुद्दे पर निर्णय नहीं ले पाए।
सर्वेक्षण के अनुसार, उच्च शिक्षा समूह में शामिल 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि वैश्विक अधिकार निकायों द्वारा पर्याप्त कार्य नहीं किया गया है, जबकि सिर्फ 39 प्रतिशत ही अपने कामों से संतुष्ट हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, 35-44 वर्ष के आयु वर्ग के लगभग 47 प्रतिशत लोगों से जब पूछा गया कि क्या तिब्बती मुद्दों पर मदद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों द्वारा विभिन्न विश्व मंचों पर पर्याप्त कार्य किया गया है? इस पर उनकी प्रतिक्रिया हां थी।
वहीं 18-24 वर्ष के आयु वर्ग के लगभग 45 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल का सकारात्मक जवाब दिया।
–आईएएनएस
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