नई दिल्ली, 21 दिसंबर (आईएएनएस)| हाल ही में कानून बने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर 47 प्रतिशत भारतीय नागरिकों को ऐसा लगता है कि इस कानून से भारतीय संविधान का उल्लंघन किया गया है।
इसके साथ ही समान लोगों को ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है। आईएएनएस-सीवोटर के सर्वे में यह बात सामने आई। देशभर के 47.1 लोगों ने कहा कि भारतीय संविधान का उल्लंघन हुआ है। जबकि 47.4 प्रतिशत लोगों को ऐसा नहीं लगता है। वहीं 5.5 प्रतिशत लोग ऐसे है जिसे इस बारे में या तो कोई जानकारी नहीं है, या वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
देशभर में तीन हजार नागरिकों में 17 से 19 दिसंबर के बीच कराए गए स्नैप पोल में नमूने के तौर पर सबसे अधिक लोग 500 असम से लिए गए थे, जिसमें पूर्वोत्तर व मुस्लिम समुदाय के लोग समान रूप से मौजूद रहे।
सर्वे के अन्य सवाल में 64 प्रतिशत लोगों को लगता है कि नए कानून से भारत की जनसंख्या में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ेगा। जबकि 33.8 प्रतिशत लोग ऐसा नहीं सोचते हैं। वहीं 2.2 प्रतिशत लोग ऐसे है जिसे इस बारे में या तो कोई जानकारी नहीं है, या वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
असम की बात करें तो 68.1 प्रतिशत लोग सीएए का विरोध कर रहे हैं, वहीं 78.1 को लगता है कि इससे जनसंख्या वृद्धि होने की संभावनाएं हैं। हालांकि, 18.9 प्रतिशत लोगों को ऐसा नहीं लगता है।
समुदाय की बात करें तो 73.7 प्रतिशत मुस्लिम और 63.6 प्रतिशत हिंदुओं को लगता है कि इस कदम से भारत की जनसंख्या बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ेगा। 22.3 प्रतिशत मुस्लिम और 34.2 प्रतिशत हिंदुओं को मगर ऐसा नहीं लगता है।
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