आचार संहिता जारी करने के 48 घंटे बाद ही बैकफुट पर आईआईटी-बंबई

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मुंबई, 31 जनवरी (आईएएनएस)| भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई (आईआईटी-बंबई) ने 28 जनवरी को 15 सूत्री आचार संहिता जारी कर विद्यार्थियों को देशविरोधी और समाज विरोधी गतिविधियों से दूर रहने की हिदायत दी थी। लेकिन इसे लेकर मचे कोहराम के बाद 48 घंटे में ही यह संस्थान इस मुद्दे पर बैकफुट पर आ गया है और अब डैमेज कंट्रोल में जुट गया है। आईआईटी-मुंबई प्रशासन ने गुरुवार देर शाम जारी एक बयान में कहा, “आईआईटी-मुंबई यह साफ करना चाहता है कि यह किसी के व्यक्तिगत विचार की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति के खिलाफ नहीं है। संस्थान वैचारिक रूप से पूरी तरह गैराजनीतिक है और किसी भी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन नहीं करता है।”

आईआईटी-मुंबई ने कहा है कि लेकिन संविधान में दिए गए अधिकारों और कत्र्तव्यों के मुताबिक प्रत्येक विद्यार्थी अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए स्वतंत्र है।

बयान में कहा गया है, “28 जनवरी का सर्कुलर सभी आईआईटीज में हॉस्टल के लिए निर्धारित मानक और मौजूदा नियमों का समुच्चय है, जिसे सभी विद्यार्थियों को यह याद दिलाने के लिए भेजा गया था कि वे हॉस्टल और बाकी शैक्षणिक क्षेत्र में शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल बनाए रखें।”

बयान में आगे कहा गया है कि यह सर्कुलर छात्र परिषद के साथ विचार-विमर्श के बाद भेजा गया था, जिसमें निर्वाचित छात्र प्रतिनिधि शामिल हैं।

संस्थान ने आगे कहा कि आईआईटी-बंबई देश के उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों में से एक है, जिसका मकसद उच्च गुणवत्ता वाला शोध करना और ऐसे लोगों को तैयार करना है, जो देश और देश के नागरिकों को लाभ पहुंचा सकें।

सर्कुलर को उचित ठहराते हुए आईआईटी-बंबई ने कहा कि इस आचार संहिता पर छात्र संस्थान में दाखिला लेते समय हस्ताक्षर करते हैं, साथ ही उन्हें आईआईटी-बंबई और आईआईटी-मद्रास के हॉस्टल के दस्तावेजों का लिंक भी उपलब्ध कराया जाता है।

इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) की युवा शाखा के प्रमुख अमोल मटेले ने आईआईटी-बंबई प्रशासन को पत्र लिख कर 28 जनवरी को जारी सर्कुलर को तत्काल वापस लेने की मांग की है। जबकि आईआईटी-बीएचयू के स्टूडेंट फॉर चेंज ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर आईआईटी-बंबई के अपनी बिरादरी का समर्थन किया है।

आईआईटी-बंबई 15 सूत्री सर्कुलर में अन्य बातों के अलावा अकादमिक बिरादरी के लिए हैरान करने वाली बात यह रही है कि उसमें छात्रों को किसी देश विरोधी, समाज विरोधी गतिविधि से और ऐसी अन्य किसी भी गैरजरूरी गतिविधि से दूर रहने की हिदायत दी गई थी, जिससे हॉस्टल के शांतिपूर्ण माहौल में व्यवधान पैदा होता हो। इनमें पंफलेट बांटने, भाषण, नाटक, संगीत जैसी गतिविविधियां शामिल हैं।

गौरतलब है कि आईआईटी-बंबई पिछले कुछ महीनों से चर्चा में है, क्योंकि यहां सीएए-एनआरसी को लेकर पक्ष-विपक्ष में प्रदर्शन हुए हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में चल रहे आंदोलन का समर्थन किया गया और हजारों छात्रों ने 26 जनवरी को 1000 फुट लंबे तिरंगे के साथ एक अनोखी तिरंगा रैली निकाली थी।

आईआईटी-बंबई के 17 हॉस्टल्स में रह रहे या पढ़ रहे 11 हजार छात्रों के लिए जारी 28 जनवरी के सर्कुलर को ‘आईआईटी-बंबई फॉर जस्टिस’ नामक एक सामूहिक आह्वान के आलोक में देखा गया था। इसमें चार विभिन्न समूह (अंबेडकर-पेरियार-फुले स्टडी सर्कल, नॉर्थईस्ट कलेक्टिव, आंबेडर स्टूडेंट्स कलेक्टिव और चर्चावेदी) शामिल हैं। ये चारों समूह देश भर के अन्य विश्वविद्यालयों के अपने छात्रा साथियों के समर्थन में नियमित तौर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करते रहते हैं।

 

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