नई दिल्ली, 24 मार्च (आईएएनएस)| राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) को प्रस्तावित आईएलएंडएफएस समाधान योजना के तहत निपटारे की मांग करते हुए तकरीबन 100 क्रेडिटर्स की ओर से याचिकाएं मिली थीं।
यह योजना सरकार द्वारा सौंपी गई थी। कॉरपोरेट समूहों और उनके पीएफ फंड, कर्मचारी फंड, एमएनसी, डाक निधि, बैंक, पीएसयू और कुछ पावर कंपनी समेत सिक्योर्ड व अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स की ओर से प्राप्त याचिकाएं मिली थीं।
अधिकांश याचिकाएं हालांकि कर्मचारी निधि व न्यास की ओर से दाखिल की गई हैं जो अपने निवेश को असुरक्षित मानते हुए समाधान रूपरेखा से सहारे की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे लाखों अल्पकालिक, वेतनभोगी और भोलेभाले निवेशक प्रभावित हुए हैं।
करीब 100 याचिकाओं में आईएएनएस की जानकारी के अनुसार, तकरीबन 50 फीसदी याचिकाएं कर्मचारी निधि, सेवानिवृत्ति निधि, ग्रेच्यूटी फंड और भविष्य निधि द्वारा दाखिल की गई हैं। इसका मतलब यह है कि यह कामकाजी कर्मचारी वर्ग की सेवानिवृत्ति की बचत राशि है।
नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर निधि के प्रतिनिधि ने आईएएनएस से कहा, “हमें आईएलएंडएफएस में निवेश की गई अपने जीवनभर की कमाई की सुरक्षा के लिए सरकार की मदद की दरकार है। मौजूदा कानूनी संरचना सिक्योर्ड क्रेडिटर्स के प्रति पूर्वाग्रही है। सरकार को अब छोटे निवेशकों के हितों में कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। हम सिक्योर्ड क्रेडिटर्स, बैंक और एमएनसी की तहत संगठित व शक्तिशाली नहीं हैं, जो अपने हिस्से के लिए लड़ने को तैयार हैं। लेकिन हम वेतनभोगी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो बड़ी तादाद में निर्वाचक वर्ग हैं और अपने प्रतिनिधियों से हस्तक्षेप की मांग करते हैं।”
आईएलएंडएफएस के प्रवक्ता से संपर्क करने पर उन्होंने इन बदनसीब कर्मचारी वर्ग के निवेशकों के समाधान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
जाहिर है कि यह चुनावी साल है और कर्मचारी वर्ग मतदाता भी हैं, लेकिन कोई उनकी समस्या को लेकर जवाब देने को आगे नहीं आ रहे हैं, इसलिए यह संवदेनशील मसला अनियंत्रित बनता जा रहा है। आईएएनएस की जानकारी के अनुसार, कुछ फंड इस मसले पर राजनीतिक मदद भी तलाश रहे हैं और आईएलएंडएफएस संकट से प्रभावित लाखों मध्यमवर्गीय मतदाताओं के मसले को लेकर आंखें फेर लेना किसी भी राजनीतिक दल के लिए मुश्किल होगा।
एक फंड के प्रतिनिधि ने आईएएनएस को बताया, “सरकार ने क्रेडिटर के हितों व मूल्य की सुरक्षा के लिए एक नया बोर्ड नियुक्त किया। लेकिन अब तक छोटे क्रेडिटर्स की भागीदारी नहीं होने से समाधान रूपरेखा में सिर्फ बड़े व शक्तिशाली क्रेडिटर्स के लिए ही काम हो रहा है।”
एनसीएलएटी की अगली सुनवाई 29 मार्च को होने वाली है।
उधर, विपक्ष जनसमूह से जुड़ने का हर मौके की तलाश में है और खुद को उनके हितैषी के रूप में देख रहा है।
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