चेन्नई, 15 अप्रैल (आईएएनएस)| मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कर्मचारियों को उनकी नौकरी की स्थिति की पहचान करते समय ‘सरकारी कर्मचारी’ के रूप में संदर्भित नहीं किया जा सकता है।
न्यायधीश के.के. शशिधरन और न्यायाधीश पी.डी. आदिकेसावुलु की पीठ ने कहा, “यह तथ्य कि केंद्र सरकार का आरबीआई पर महत्वपूर्ण रूप से नियंत्रण है, इससे इसके कर्मचारी केंद्र सरकार के कर्मचारी नहीं बन जाते।”
पीठ ने कहा, “यह सच है कि भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ के अंतर्गत एक स्टेट है। तब भी यह नहीं कहा जा सकता है कि इसके कर्मचारी सभी नियमित सरकारी कर्मचारी हैं।”
आरबीआई कर्मचारी ई. मनोज कुमार द्वारा तमिलनाडु लोक सेवा आयोग (टीएनपीएससी) में अपना परिणाम घोषित करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख करने के बाद यह फैसला सामने आया है।
कंबाइंड सिविल सर्विसेज-आई परीक्षा के लिए आवेदन पत्र में प्रश्नावली भरने के दौरान कुमार ने 2016 में एक गैर-सरकारी कर्मचारी के रूप में अपनी पहचान दर्शाई थी।
आयोग ने भारतीय रिजर्व बैंक के साथ उसकी नौकरी के संबंध में आवेदन पत्र में सामग्री विशेष नहीं बताने के आधार पर उसका परिणाम रोक दिया।
“क्या आप सरकारी कर्मचारी हैं?” टीएनपीएससी द्वारा प्रकाशित प्रश्नावली के प्रश्नों में से एक था। कुमार ने इसका जवाब ‘नहीं’ में दिया था।
उन्होंने लिखित परीक्षा पास कर ली और उन्हें पुलिस उपाधीक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए चुना गया।
हालांकि, उनकी नियुक्ति में बाधा आई और जब उन्होंने अदालत में अपील की तो मद्रास उच्च न्यायालय की एक एकल पीठ ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि आवेदन पर निर्देश बहुत स्पष्ट था।
उम्मीदवारों को दिए गए निर्देशों में न केवल सरकारी सेवा शामिल थी, बल्कि अन्य सेवाओं को घोषित करने का भी प्रावधान था। इसने कहा कि बैंक सेवा को लेकर जानकारी नहीं देना अयोग्यता सिद्ध करने करने वाली सूचनाओं को दबाने के बराबर है।
डिवीजन बेंच ने हालांकि पाया कि आवेदन फॉर्म में एक अलग कॉलम नहीं है जो स्पष्ट रूप से उम्मीदवारों को उनके रोजगार की प्रकृति की घोषणा करने का संकेत देता है।
कुमार की याचिका पर विचार करते हुए पीठ ने पाया कि आवेदन पत्र के कॉलम में केवल ‘सरकारी सेवा’ की जानकारी मांगी गई थी और ऐसे में बैंक कर्मचारी के लिए यह बता पाना संभव नहीं होगा कि वह एक सरकारी कर्मचारी है ।
पीठ ने उल्लेख किया कि कुमार ने परीक्षा के लिए आवेदन पत्र सही ढंग से भरा था।
इसने कहा, “प्रविष्टि अपीलकर्ता द्वारा सही ढंग से भरी गई थी। वह टीएनपीएससी द्वारा गलत प्रश्नावली तैयार करने के लिए जिम्मेदार नहीं है।”
26 मार्च को पारित एकल पीठ के आदेश को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय पीठ ने टीएनपीएससी को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर कुमार की नियुक्ति के संबंध में सरकार से कदम उठाने के लिए कहे।
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