मुंबई, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने समायोजी रुख को बरकरार रखते हुए प्रमुख ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि एमपीसी ने प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) चार फीसदी को बरकरार रखने का फैसला लिया है और रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है। साथ ही, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट और बैंक रेट 4.25 फीसदी रखा गया है।
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देते हैं। इसके विपरीत केंद्रीय बैंक जिस दर पर वाणिज्यिक बैंकों से उधारी लेते हैं उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी ने समायोजी रुख बरकरार रखने के पक्ष में मत जाहिर किया, जिससे आगे प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनी हुई है।
खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों को दखते हुए इस बात का अनुमान पहले से था कि आरबीआई की एमपीसी प्रमुख ब्याज दर स्थिर रखने का फैसला कर सकती है।
दास ने कहा, “एमपीसी ने घरेलू और वैश्विक आर्थिक व वित्तीय स्थितियों का मूल्यांकन करने के बाद सर्वसम्मति से रेपो रेट चार फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया।”
उन्होंने कहा, “एमपीसी ने मौद्रिक नीति में तब तक समायोजी रुख बरकरार रखने का फैसला लिया जब तक इसकी आवश्यकता है। ”
दास के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी से निपटने के लिए निर्णायक दौर में प्रवेश कर चुकी है। उन्होंने कोरोना महामारी के पहले की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि कई संकेतकों से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के लक्षण मिल रहे हैं और आर्थिक विकास की शुरुआत हो चुकी है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण दिखने लगे हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा मजबूती है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्नों के उत्पादन में देश में नया रिकॉर्ड बन सकता है। शक्ति कांत दास ने कहा कि मानसून बेहतर रहने और खरीफ फसलों रकबा बढ़ा है और रबी फसलों का भी आउटलुक अच्छा है, जिससे खाद्यान्नों के उत्पादन में नया रिकॉर्ड बन सकता है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में पॉजिटिव ग्रोथ देखने को मिल सकती है।
कोरोना के प्रकोप पर लगाम लगाने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसदी की गिरावट रह सकती है।
आरबीआई के सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विनिर्माण कंपनियों को तीसरी तिमाही में उनकी क्षमता का उपयोग बढ़ने की उम्मीद है और तीसरी तिमाही से आर्थिक गतिविधियां जोर पकड़ेंगी।
हालांकि निजी निवेश और निर्यात में नरमी रह सकती है, क्योंकि बाहरी मांग अभी भी कमजोर है।
दास ने कहा, “वित्त वर्ष 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसदी की गिरावट रह सकती है।”
उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों के विपणन और कोल्ड स्टोरेज, परिवहन, प्रंस्करण समेत मूल्य श्रंखला के क्षेत्र में सुधार के कार्यक्रमों और श्रम कानून में बदलाव के साथ-साथ वैक्सीन बनाने और इसके वितरण के लिए क्षमता निर्माण से निवेश के नए द्वार पहले ही खुल चुके हैं।
–आईएएनएस
पीएमजे/एएनएम
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