नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)। कोविड-19 महामारी के दौर में स्टेपवन टेलीमेडिसिन कर्नाटक, पंजाब, महाराष्ट्र, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और नागालैंड सहित सात राज्यों में अपनी सेवा प्रदान कर रहा है। आई.वी.आर को प्रत्येक राज्य के लिए स्थानीयकृत किया गया है और वर्तमान में अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, मराठी, ओड़िया, पंजाबी और नागा भाषाओं में सेवा उपलब्ध करा रहा है। पिछले सात हफ्तों में करीब 10 लाख से अधिक कॉल की जा चुकी हैं, और 6000 से अधिक सत्यापित डॉक्टरों द्वारा 70,000 टेली-परामर्श दिए गए हैं। परामर्शो से 3000 से अधिक उच्च जोखिम वाले मरीजों की पहचान की गई है जिन पर संबंधित राज्य सरकारों ने उचित कार्रवाई की है।
स्टेपवन टेलीमेडिसिन पहल आई.सी.एम.आर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के स्वचालित ट्राइएजिंग प्रोटोकॉल के अनुरूप है। यह हेल्पलाइन नागरिकों के लक्षणों और यात्रा इतिहास के इनपुट को रिकॉर्ड करती है, इन इनपुट के आधार पर प्राथमिकता निर्धारित की जाती है, उसके बाद क्लाउड टेलीफोनी के माध्यम से जुड़े डॉक्टरों द्वारा उन्हें कॉल बैक किया जाता है।
स्टेपवन ने पंजाब, ओड़िशा और कर्नाटक में मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन के लिए प्रौद्योगिकी समर्थित सुविधा भी स्थापित किया है। चुनौतीपूर्ण आर्थिक और स्वास्थ्य परिस्थितियों के कारण चिंता के उच्च स्तर और मानसिक आघात की वजह से, नागरिकों को उचित परामर्श देना बहुत ही आवश्यक हो गया है।
आरोग्य सेतु मित्र के टेलीमेडिसिन पार्टनर में से एक बनने पर, स्टेपवन के राहुल गुप्ता ने कहा, “मार्च में जब हमने स्टेपवन पर विचार किया था, हमारा मिशन सिर्फ लोगों को घर पर रखने का था, ताकि उन्हें कोविड-19 के लक्षणों के संबंध में भय और अनिश्चितताओं से निपटने में मदद मिल सके। टेली-स्क्रीनिंग संदिग्धों की पहचान करने और उन्हें मार्गदर्शन देने का सबसे तेज और कारगर तरीका है ताकि वे खुद को आइसोलेट रखें तथा और अधिक नागरिकों या हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संक्रमित न करें। स्टेपवन एक समावेशी समाधान है जो भौगोलिक रूप से काम करता है, यह किसी खास डिवाइस पर काम नहीं करता बल्कि नागरिक हमें फीचर-फोन या स्मार्ट-फोन से कॉल कर सकते हैं। हमें आरोग्य सेतु मित्र ऐप का पार्टनर बनने की खुशी है और हम साथ मिलकर अपने नागरिकों और चिकित्सा समुदाय दोनों की रक्षा करने के लिए आश्वस्त हैं।”
रेवरी लैंग्वेज टेक्नोलॉजीज के सीईओ अरविंद पाणी बताते हैं, “यह हम भारतीयों के लिए एक विडंबना है कि सामान्य परिस्थिति में एक-दूसरे से जुड़ने के लिए स्थानीय भाषाओं को उचित महत्व नहीं दिया। हमें भारतीय भाषाओं को पूर्ण प्राथमिकता देने और 1.3 अरब भारतीयों तक पहुंचने के लिए, इस भयंकर महामारी की जरूरत पड़ी! यह हमारे लिए एक जागृत आह्वान है कि भारत केवल अंग्रेजी बोलने वाला देश नहीं है और केवल अंग्रेजी पर ध्यान केंद्रित करके हम कैसे बिखरे हुए हैं।”
कोविड 19 के खिलाफ इस युद्ध जैसी स्थिति को जीतने के लिए, यह आवश्यक है कि हमारे साथी नागरिक न केवल सही स्रोतों से सही जानकारी प्राप्त करें, बल्कि एक ऐसी भाषा में भी, जिसे वे अच्छी तरह से समझते हैं। यह हमारी जिम्मेदारी के साथ-साथ खुशी की बात है कि हम स्टेपवन टेलीमेडिसिन पहल के लिए अपनी भाषा तकनीक की पेशकश करने में सक्षम हुए, जो नागरिकों को कोविड 19 संबंधी उनकी आशंकाओं को दूर करने में मददगार है और स्थानीयकृत स्वचालित वॉयस ओवर के माध्यम से कार्रवाई के सर्वोत्तम पथ निर्देशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
–आईएएनएस
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