लखनऊ , 22 फरवरी (आईएएनएस)। स्वाद और खुशबू में बेमिसाल कालानमक चावल अब सिंगापुर में जलवा बिखेरेगा। भगवान बुद्घ का प्रसाद माने जाने वाले कालानमक की 20 टन की पहली खेप मार्च में सिंगापुर जाएगी। बुद्घा राइस के नाम से ब्रांडिंग किए जा रहे इस चावल को बौद्घ देशों में भगवान बुद्घ द्वारा भिक्षुओं को प्रसाद के रूप में दान किए गए चावल के रूप में पेश किया जा रहा है।
यही वजह है कि इस चावल की पैकिंग पर महात्मा बुद्घ की उक्ति, इस चावल की विशिष्ट महक हमेशा लोगों को मेरी (महात्मा बुद्घ की) याद दिलाएगी भी अंकित की गई है। कालानमक चावल को मिली इस उपलब्धि से अकेले सिद्घार्थनगर ही नहीं बल्कि भौगौलिक सम्पदा (जीआई) घोषित समान कृषि जलवायु वाले जिले गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्घार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती के भी किसानों को लाभ होगा।
कालानमक की उपज को बढ़ाने और उसके प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए प्रदेश सरकार ने इसे सिद्घार्थनगर का ओडीओपी घोषित किया। केंद्र सरकार ने क्लस्टर एप्रोच अपनाते हुए समान कृषि जलवायु क्षेत्र के आधार पर कालानमक को सिद्घार्थनगर के साथ बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, सिद्घार्थनगर और संतकबीरनगर का ओडीओपी घोषित किया है। ऐसे में बुद्घ के महाप्रसाद का प्रसार दक्षिणपूर्व एशिया के बौद्घ देशों में कोरिया, चीन, जापान, म्यांमार, कंबोडिया, मंगोलिया, वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका और भूटान तक हुआ और इन देशों से बेहतर दाम पर मांग निकली तो उन सभी जिलों में इसकी खेती को बढ़ावा मिलेगा जिनके लिए कालानमक को जीआई मिली है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी बताते हैं कि चावल की पैकिंग शुरू करा दी गई है। मार्च के आखिर तक इसे सिंगापुर भेज दिया जाएगा।
चौधरी बताते हैं कि कालानमक धान सिद्घार्थनगर के बजहा गांव में गौतम बुद्घ के कालखंड में पैदा होता रहा है। मान्यता है कि महात्मा बुद्घ ने हिरण्यवती तट पर इसी चावल की खीर ग्रहण कर उपवास तोड़ा था और खीर श्रद्घालुओं को प्रसाद के रूप में दिया था। कालानमक चावल का जिक्र चीनी यात्री फाहियान के यात्रा वृतांत में भी मिलता है। सिद्घार्थनगर का बर्डपुर ब्लॉक इसका गढ़ है। मालूम हो कि सिंगापुर, थाईलैंड का पूवार्ंचल से पुराना नाता है। यहां के ढेर सारे लोग वहां रहते हैं।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल कहते हैं कि निर्यात शीशे की खूबसूरत जार में होगा। इस पर कालानमक चावल की सभी खूबियां अंकित होंगी। पैकिंग पर छपे बारकोड को स्कैन कर इस चावल की खूबियां जान सकते हैं। शीघ्र ही अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र वाराणसी के सहयोग से सिद्घार्थनगर में अनुसंधान केन्द्र खुलेगा। शीघ्र ही स्ट्राबेरी महोत्सव की तर्ज पर कालानमक महोत्सव भी आयोजित होगा।
–आईएएनएस
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