भारत सरकार ने देश की दो सबसे बड़ी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है। विमानन कंपनी एयर इंडिया के साथ देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की बिक्री की प्रक्रिया अगले साल मार्च तक पूरी होने की संभावना है। दोनों कंपनियां जल्द की निजी हाथों में चली जाएंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी है।
वित्त मंत्री ने कहा है कि इन दोनों सरकारी कंपनियां को बेचने से सरकार को इस वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये का फायदा होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही निवेशकों में उत्साह है। जबकि पिछले साल निवेशक इतने उत्साहित नहीं थे। बीते साल सरकार ने एयरलाइन में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी और प्रबंधन नियंत्रण को रद्द करने के लिए एयर इंडिया के लिए EoI मंगाई थी लेकिन इसे एक भी बोलीदाता नहीं मिला था। सरकार के पास वर्तमान में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत इक्विटी है।
मौजूदा वित्त वर्ष में कर संग्रह में गिरावट आई है। अक्तूबर महीने में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ से कम रहा। पिछले महीने की तुलना में यह 5.29 फीसदी कम रहा। इसलिए सरकार विनिवेश और स्ट्रैटेजिक सेल के जरिए रेवेन्यू जुटाना चाहती है। सितंबर माह में जीएसटी संग्रह 91,916 करोड़ रुपये रहा था।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए केंद्र सरकार हर मुमकिन प्रयास कर रही है। देश में कई क्षेत्र अब मंदी से बाहर निकल रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि कई उद्योगों के मालिकों से अपनी बैलेंस शीट में सुधार करने को कहा गया है और वे निवेश की तैयारी भी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को निजी क्षेत्र की दो दिग्गज कंपनियों एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की वित्तीय स्थिति सामने आने के बाद सरकार की चिंता काफी बढ़ गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कंपनियों और उनके करोड़ों ग्राहकों को भरोसा दिलाया है कि सरकार उन्हें डूबने नहीं देगी। वित्त मंत्रालय इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है। सीतारमण के मुताबिक भारत में काम करने वाली कोई भी टेलीकॉम कंपनी बंद ना हो और सब आगे बढ़ें।
आपको बता दें कि पहले केंद्र सरकार द्वारा भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अपनी 53 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी को बेचने की खबर आई थी। इसके लिए सरकार की तरफ से सारी तैयारियों को पूरा कर लिया गया है। बीपीसीएल की नेटवर्थ फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये है। अपनी पूरी 53.3 फीसदी बेचकर सरकार का लक्ष्य 65 हजार करोड़ रुपये की उगाही करने का है। पिछले साल सरकार ने ओएनजीसी पर एचपीसीएल के अधिग्रहण के लिए दबाव डाला था। इसके बाद संकट में फंसे आईडीबीआई बैंक के लिए निवेशक नहीं मिलने पर सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में एलआईसी को बैंक का अधिग्रहण करने को कहा था। सरकार विनिवेश प्रक्रिया के तहत संसाधन जुटाने के लिये एक्सचेंज ट्रेडिड फंड (ईटीएफ) का भी सहारा लेती आई है।
गौरतलब है कि एयर इंडिया पर अभी करीब 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके अलावा सरकारी विमानन कंपनी का परिचालन घाटे में बना हुआ है। अगस्त में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने कहा था कि एयर इंडिया का बकाया ईंधन बिल 5,000 करोड़ रुपये हो गया था, जिसका भुगतान नहीं किया गया था।
This post was last modified on November 17, 2019 11:09 PM
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