अजीत का जन्म 27 जनवरी 1922 को हुआ था। अजीत का असली नाम हामिद अली खान था। वो बचपन से ही एक्टर बनना चाहते थे। और इसीलिए वो घर से भागकर मुंबई आ गए थे। एक्टर बनने के लिए उन्होंने अपनी किताबें बेच डाली। 1940 में उन्होंने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की। पहले वो हिरो बनते थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
इसके बाद उन्होंने विलेन का करना उचित समझा और इसमें उन्हें कामयाबी भी मिली। विलेन के तौर पर ना सिर्फ उनके किरदारों को सराहा गया बल्कि उनके कई डायलॉग और वन लाइनर जबरदस्त हिट होने लगे। आज भी जब अजीत के नाम का जिक्र होता है तो ‘मोना डार्लिंग’, ‘लिली डोंट भी सिली’ और ‘लॉयन’ जैसे डायलॉग जुबां पर आ जाते हैं।
अजीत का फिल्मी सफर इतना भी आसान नहीं था। मुंबई आने के बाद अजीत का कोई ठोस ठिकाना नहीं था। काफी वक्त तक उन्हें सीमेंट की बनी पाइपों में रहना पड़ा जिन्हें नालों में इस्तेमाल किया जाता है। उन दिनों लोकल एरिया के गुंडे उन पाइपों में रहने वाले लोगों से भी हफ्ता वसूली करते थे और जो भी पैसे देता उसे ही उन पाइपों में रहने की इजाजत मिलती।
एक दिन एक लोकल गुंडे ने अजीत से भी पैसे वसूलने चाहे। अजीत ने मना कर दिया और उस लोकल गुंडे की जमकर धुनाई की। उसके अगले दिन से अजीत खुद लोकल गुंडे बन गए। अजीत ने अपने फिल्मी करियर में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। अजीत ने नास्तिक, मुगल ए आजम, नया दौर और मिलन जैसी फिल्मों जैसी कुछ बेहतरीन फिल्मों में काम किया। 22 अक्टूबर 1998 में हैदराबाद में अंतिम सांस ली थी।
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