समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसान की हालत दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। भाजपा सरकार की प्राथमिकता में बड़े उद्योग घरानों का हित साधन है।
अखिलेश यादव ने यहां सोमवार को जारी अपने बयान में कहा कि भाजपा सरकार का किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने में कोई मुकाबला नहीं है। अभी तक 20 लाख करोड़ की गिनती भी नहीं कर पाए कि एक और किस्त एक लाख करोड़ की किसानों को भेजने की घोषणा कर सबको चौंक दिया है। भाजपा सरकार की प्राथमिकता में बड़े उद्योग घरानों का हित साधन है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक आपदा, गन्ने का बढ़ता बकाया, बिचौलियों द्वारा फसलों की लूट और कर्ज से बेहाल हजारों किसान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं। प्रधानमंत्री कृषि ‘इन्फ्रास्ट्रक्च र फंड लांच करने की घोषणा करते हैं, पर किसान को यूरिया और बीज तक तो समय से मिल नहीं पा रहा है।
अखिलेश ने कहा कि यह फंड भी किसान समूहों को मिलेगा। मंशा साफ है, भाजपा खेती को कारपोरेट क्षेत्र में विलय करने में लग गई है। सच तो यह है कि भाजपा सरकार बहुराष्ट्रीय और कारपोरेट घरानों के हितों की पैरोकारी में खेती, गांव, किसान को उनका बंधक बनाने की योजना लागू करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने वादा किया था कि वह सन् 2022 तक किसानों की आय दो गुना कर देगी, न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाएगी और किसान का पूरा कर्ज माफ करेगी, लेकिन हकीकत में तो भाजपा ने किसानों के साथ सिर्फ गोलमाल ही किया है।
अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसान पहले अतिवृष्टि, ओलावृष्टि एवं आकाशीय आपदा से बदहाल रहा, इधर बाढ़ ने तबाह कर रखा है। कई जलमग्न गांवों का संपर्क टूट गया है। तटबंध टूट गए हैं। पशुओं को चारा भी नहीं मिल पा रहा है।
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