कभी घर छोड़ कर हॉस्टल में रहे थे रघुवंश प्रसाद, लालू यादव के संकट मोचक माने जाते थे

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बिहार विधानसभा (Bihar Election 2020) चुनाव से पहले आरजेडी (RJD) को बड़ा झटका लगा है।रघुवंश प्रसाद सिंह (Raguvansh Prasad Singh), आरजेडी (RJD) के सबसे प्रवावशाली नेताओं में से एक माने जाते हैं। उन्होनें आज पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है। कारण पार्टी से उनकी नाराजगी बताई जा रही है।

रघुवंश ऐसे मंत्रियों में से थे जिनपर कभी भ्रष्टाचारी का दाग नहीं लगा। कभी गणित के नामी प्रोफेशर थे रघुवंश प्रसाद और शायद यही वजह थी कि उन्हें राजनीति की गुणा गणित समझने में कभी दिक्कत नहीं हुई। यूपीए की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री के पद पर रहने के दौरान महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) (MNREGA) की शुरुआत करने वाले रघुवंश ही थे।

दिसंबर 1973 में अहमदाबाद के एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज में एक घटना हुई। हुआ यूं कि कॉलेज में मेस की फीस बढ़ा दी गई जिसका छात्रों ने भरपूर विरोध किया। इस विरोध ने आंदोलन का रूप ले लिया। देश में हर जगह छात्र आंदोलन शुरू हो गया। बिहार के सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में इसी आंदोलन को बढ़ावा दे रहे थे वहां के गणित के प्रोफेशर रघुवंश प्रसाद सिंह जो कि उस वक्त संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जिला सचिव भी थे। वर्ष 1974 में पुलिस ने प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया और जब वो जेल से छूटे तो उनके मकानमलिक ने घर खाली करने का आदेश दे दिया। ऐसे में प्रसाद घर छोड़ कर हॉस्टल में पनाह लेने चले आए। प्रसाद जब हॉस्टल आए थे तो उनके जमा पूंजी के नाम पर एक जोड़ी धोती कुर्ता, एक गमछा और कुछ किताबों के सिवा कुछ भी नहीं था। कमाई में से घर भेजने के बाद उनके पास इतने पैसे भी नहीं होते थे कि वो खुद के लिए खाने का जुगाड़ कर सकें।

जून 1977 में विधानसभा चुनाव हुए और रघुवंश प्रसाद सीतामढ़ी के बेलसंड सीट से विधायक चुने गए। उनकी इस जीत का सिलसिला 1985 तक यूं ही चलता रहा। इसके बाद देश में 1996 में लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में प्रसाद वैशाली से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की। ये चुनाव प्रासाद ने लालू यादव के कहने पर लड़ा था। 1996 में जब केंद्र में जनता दल (सेक्यूलर) की सरकार आई और देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने तो रघुवंश को बिहार कोटे से केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया। फिर जब 1997 में इंद्र कुमार गुजराल नए प्रधानमंत्री बने तो रघुवंश प्रसाद सिंह को खाद्य और उपभोक्ता मंत्री बनाया गया।

1999 में जब लालू प्रसाद यादव की हार हई तो प्रसाद को दिल्ली में राष्ट्रीय जनता दल के संसदीय दल का अध्यक्ष बना दिया गया। प्रसाद को 2014 लगातार पांच बार वैशाली से जीत हासिल करने के बाद हार का सामना करना पड़ा था। प्रसाद लालू के संकटमोचक माने जाते हैं मगर इस वक्त वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं। इसी साल जून में उन्होंने पार्टी के राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था और अब पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है। फिलहाल प्रसाद ऐम्स में भर्ती हैं और उन्होनें वहीं से अपना इस्तीफा दिया है।

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