गुड़ी पड़वा का पर्व क्यों है खास, इससे जुड़ी है रामायण की कहानी

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गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2019) का पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष के आरंभ की खुशी में मनाया जाता है। यह त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होने वाले नए साल की शुरुआत के दिन ही मनाने की परंपरा है। हिंदू नव वर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही होता है। इस बार ये त्यौहार 6 अप्रैल 2016 मनाया जाएगा। गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का भी आरंभ भी होता है।

दक्षिण भारतीय राज्यों में विशेष महत्व

गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस पर्व को खास तरीके से मनाया जाता है। इस दिन पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है। इसमें गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चा आम मिलाया जाता है। इन सभी चिजों का अपना महत्व है। गुड़ मिठास के लिए, नीम के फूल कड़वाहट मिटाने के लिए और इमली व आम जीवन के खट्टे-मीठे स्वाद चखने का प्रतीक होती है।

 पौराणिक कथा  और रामायण की कहानी

दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा का त्यौहार काफी लोकप्रिय है। इस पर्व की कहानी रामायण से भी जुड़ी हुई है। कई लोगों की मान्यता है कि पौराणिक मान्यता के मुताबिक सतयुग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन था। जब भगवान श्री राम को पता चला की लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है तो उनकी तलाश करते हुए जब वे दक्षिण भारत पहुंचे तो यहां उनकी उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन से अवगत करवाते हुए उनकी सहायता करने में अपनी असमर्थता जाहिर की। इसके बाद भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया। मान्यता है कि वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का था। बाली के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज (गुड़ी) फहराए। आज भी घर के आंगन में गुड़ी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है। इसीलिए इस दिन को गुड़ी पड़वा नाम दिया गया।

एक अन्य कथा के मुताबिक शालिवाहन ने मिट्टी की सेना बनाकर उनमें प्राण फूंक दिये और दुश्मनों को पराजित किया। इसी दिन शालिवाहन शक का आरंभ भी माना जाता है। इस दिन लोग आम के पत्तों से घर को सजाते हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व महाराष्ट्र में इसे लेकर काफी उल्लास होता है।

वासंतिक नवरात्र के साथ ही गुड़ी पड़वा की दस्तक होती है। ‘गुड़ी पड़वा’ के मौके पर आंध्रप्रदेश में एक विशेष प्रसाद बांटा जाता है। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति  निराहार होकर इस प्रसाद का ग्रहण करता है वो रोगमुक्त हो जाता है। आप सभी को गुड़ी पड़वा की हार्दीक शुभकामनाएं।

This post was last modified on April 1, 2019 6:26 PM

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