न्यूयॉर्क, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)| अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी राजदूत सैमुअल ब्राउनबैक ने कहा है कि वह भारत के असम में नागरिकता के मुद्दे और कश्मीर की स्थिति पर गौर कर रहे हैं और इसे रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ाने से पहले इनकेबारे में और अधिक जानना चाहते हैं।
उन्होंने शुक्रवार को एक समाचार सम्मेलन के दौरान दोनों मुद्दों पर एक रिपोर्टर के सवालों का सीधे तौर पर जवाब नहीं दिया। उन्होंने केवल इतना कहा, “मैं इस तरह के मामलों में विशेष रूप से अधिक जानना चाहता हूं और हम फिलहाल इसे तथ्यात्मक रूप से देख रहे हैं।”
उन्होंने असम नागरिकता मुद्दे के बारे में कहा, “किसी भी समय लोगों के एक समूह की पहचान की जाती है और फिर विश्वास के आधार पर उन्हें बाहर रखा जाना, हमारे लिए और वैश्विक धार्मिक स्वतंत्रता समुदाय के लिए चिंता का विषय है।”
अगस्त में असम के लिए प्रकाशित होने वाले राज्य के लिए असम में अगस्त महीने में जारी किए गए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में लगभग 19 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया है। वह अपने बहिष्कार के संबंध में 120 दिनों तक अपील कर सकते हैं।
इनमें से काफी लोगों को मुसलमान बताया जा रहा है।
हिंदू के साथ ही ईसाई, सिख और बौद्ध अन्य अल्पसंख्यक जैसे अगर असल में भारतीय नागरिक नहीं पाए जाते हैं, वे यहां में शरण के लिए पात्र होंगे।
सवाल पूछने वाले पाकिस्तानी पत्रकार ने कहा कि मुसलमानों के साथ भेदभाव किया गया।
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