नई दिल्ली, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| नागरिक इलाकों में बढ़ती आबादी और व्यापक अतिक्रमण के कारण पिछले कुछ सालों में दिल्ली और आगरा के छावनी बोर्ड के तहत आने वाले क्षेत्रों में अनियोजित और बेतरतीब विकास हुआ है।
साल 1914 में अस्तित्व में आया दिल्ली कैंट 10,791.88 एकड़ में फैला है। साल 2011 में हुई गणना के अनुसार, क्षेत्र की कुल जनसंख्या 1.10 लाख है। बोर्ड के सीमा क्षेत्र में झरेडा, पुराना नागल, ईस्ट मेहरम नगर, वेस्ट मेहरम नगर और प्रह्लादपुर तथा नारायणा के कुछ हिस्से आते हैं।
इनके अलावा कैंट में दो अधिसूचित नागरिक क्षेत्र – सदर बाजार और शास्त्री बाजार भी शामिल हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, अनियोजित विकास कार्य सबसे ज्यादा यहीं हुए हैं।
दिल्ली छावनी बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, “हम इन क्षेत्रों में नियमित अंतराल पर अतिक्रमण-रोधी अभियान चलाते रहते हैं। लेकिन लोग इसके बाद फिर से उल्लंघन करने लगते हैं।”
सैन्य अधिकारी इससे पहले शिकायत कर चुके हैं कि नागरिक इलाकों में अतिक्रमण और अनियोजित विकास के कारण सैन्य बलों के संस्थानों और अन्य इकाइयों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। कुछ सालों में दिल्ली कैंट के नागरिक इलाकों में आबादी बढ़ने के कारण बोर्ड को क्षेत्र में नगरपालिका सेवाओं को संचालित करने के लिए रक्षा प्रतिष्ठान की सुविधाएं घटानी पड़ी हैं।
बोर्ड के पास अपना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं है और नागरिक आबादी के घरों से निकलने वाले अपशिष्ट को मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज के प्लांट्स की तरफ कर दिया गया है। यह हालत रक्षा मंत्रालय द्वारा बोर्ड को सालाना बजट के तौर पर 250 करोड़ रुपये दिए जाने के बावजूद है।
स्वच्छता के मामले में दिल्ली छावनी ने देश की अन्य छावनियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसे स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार साल 2018 और 2019 का पहला पुरस्कार पुरस्कार मिला है। प्रतियोगिता में देशभर के 62 कैंट शामिल हुए थे।
वहीं, साल 1805 में स्थापित आगरा छावनी बोर्ड भी अतिरिक्त जनसंख्या, अनियोजित विकास और नागरिक क्षेत्रों में बेतरतीब वृद्धि जैसी कई समस्याओं से घिरा हुआ है।
आगरा कैंट 2,857.7 एकड़ में फैला है और इसका सालाना बजट 80 करोड़ रुपये है। जहां सिविल क्षेत्रों में पेयजल की 80 प्रतिशत जरूरत यमुना नदी से पूरी होती है, वहीं यहां छावनी बोर्ड के अंतर्गत कोई एसटीपी भी नहीं है।
पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि नागरिक इलाकों से छोड़ा गया गंदा पानी स्टॉर्मवाटर ड्रेन्स में छोड़ा जाता है।
अधिकारी ने कहा, “नागरिक इलाकों में बोर्ड के इमारत निर्माण संबंधी नियमों का उल्लंघन कर अनाधिकृत निर्माण हो रहा है। नागरिक क्षेत्रों में बिना जांच और संतुलन तंत्र के व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से संचालित हो रही हैं। यहां पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में दुकानों और अन्य व्यावसायिक आउटलेट्स का निर्माण हुआ है।”
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