चर्चित समाजसेवी अन्ना हजारे एक बार फिर अनशन करने वाले हैं। मगर इस बार यह अनशन दिल्ली में नहीं, अन्ना के अपने गांव महाराष्ट्र के रालेगांव सिद्धि में होगी। इस बार के अनशन में किसी भी राजनीतिक पार्टी को शामिल नहीं किया जाएगा। अन्ना ने सभी राजनीतिक दलों से इस अनशन से दूर रहने की अपील की है।
क्या है अनशन की वजह
अभी कुछ दिन पहले अन्ना हजारे ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग की थी। शनिवार को उन्होंने कहा कि साल 2013 में लोकपाल कानून बनाया गया था। उसके बाद साल 2014 में बीजेपी सरकार सत्ता में आई। हजारे ने लिखा था, ‘मोदी के सत्ता में आने से लगा देश को समाज सेवा करने वाला पीएम मिल गया। लेकिन पांच साल पूरे होने को आए लेकिन इसके बाद भी लोकायुक्त लोकपाल बिल को लेकर सरकार उदासीन है। उसका रवैया ढुलमुल है। इसलिए अब से मैं मोदी सरकार को यह याद दिलाता रहूंगा कि उसने कहां-कहां सत्य छोड़ा है।’ उन्होंने लिखा है लोकपाल लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण कानून पर अमल न करके सरकार ने बार-बार झूठ बोला है, जिसे वह सहन नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए तय किया है कि मैं 30 जनवरी से अपने गांव रालेगढ़ सिद्धि में अनशन करूंगा ।
साथ ही साथ अपनी चिट्ठी में अन्ना हजारे ने कहा कि हमारे देश में संविधान को सबसे ऊपर दर्जा दिया गया है। लेकिन सरकार संवैधानिक संस्थाओं का पालन नहीं कर रही है। जिसकी वजह से देश के लोकतंत्र को खतरा हो गया है। संस्थाओं की स्वायत्ता सर्वोपरि है। समाजसेवी हजारे ने लिखा कि पिछली बार के आंदोलन से सीख लेते हुए सभी राजनीतिक दलों को साफ कर देना चाहता हूं कि वह इस आंदोलन में शामिल न हों। अब देखना यह होगा के यह अनशन कितना असर दिखा पाता है।
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