नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। आईआईटी-कानपुर एक ऐसी खोज कर रहा है, जिससे बच्चों में होने वाली मानसिक बीमारी का पता लगाकर उसमें सुधार किया जा सकता है। यह खोज ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए विशेष मददगार है। यह बच्चों के सामाजिक व्यवहार पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे बच्चों के भावों को समझना आसान हो सकता है।
आईआईटी-कानपुर के ह्यूमेनिटी एंड सोशल साइंस विभाग ने ऐसी तकनीक विकसित करने जा रहा है, जिससे ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए भावों को समझना और प्रतिक्रिया देना सरल हो सकेगा।
आईआईटी-कानपुर के प्रोफेसर बृजभूषण के मुताबिक, यह इस जियॉन तकनीक को सॉफ्वेयर में तैयार किया जाएगा। यह बच्चों की उम्र के हिसाब से होगा। पांच साल के बच्चों से यह शुरू होगी और इससे अधिक उम्र तक तक जारी रहेगी। ऑटिज्म की समस्या से जूझ रहे बच्चों के लिए भावों को समझाने की सरल तकनीक विकसित की जा रही है। इससे वह माता, पिता और घर के अन्य सदस्यों से मिल सकेंगे।
इस तकनीक से चेहरे और आंखों के हावभाव को विभिन्न कोण से दर्शाया जा सकता है। पीड़ित बच्चे सब कुछ मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी स्क्रीन पर सीख सकेंगे। आईआईटी के वैज्ञानिकों ने अब तक पांच हजार से अधिक चित्रों को कंप्यूटर पर अपलोड कर लिया है।
ऑटिज्म बच्चों में होने वाली मानसिक बीमारी है। यह बच्चों के सामाजिक व्यवहार व संचार पर प्रभाव डालता है। इसे स्वलीनता या खुद में लीन रहना कहते हैं। बच्चा इसमें बाहरी दुनिया से अनजान अपनी ही दुनिया में खोया रहता है।
प्रोफेसर बृजभूषण की देखरेख में आईआईटी कानपुर में ऑटिज्म पीड़ित बच्चों पर शोध किया गया है। इसमें देखा गया कि उन्हें कहां-कहां दिक्कत आती है। वह अपने रिश्तेदारों से कैसा व्यवहार करते हैं। उनकी प्रतिक्रियाएं, पसंद और न पसंद कैसी है।
–आईएएनएस
जीसीबी/एसजीके
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