नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट की अयोध्या पीठ के पांच न्यायाधीशों में से एक ने भगवान राम के जन्म के सवाल पर एक अलग ²ष्टिकोण पेश किया।
निर्णय में हालांकि उस न्यायाधीश का नाम नहीं है, लेकिन उनके तर्क को परिशिष्ट के रूप में शामिल किया गया है। न्यायाधीश ने महसूस किया कि हिंदुओं की आस्था महत्वपूर्ण है।
न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला, “निष्कर्ष यह है कि मस्जिद और उसके बाद के निर्माण से पहले हिंदुओं की आस्था और विश्वास हमेशा से रहा है कि भगवान राम का जन्मस्थान वह जगह है, जहां बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया है। इस पर दस्तावेजों व मौखिक साक्ष्यों से विश्वास होता है, जिन पर चर्चा की गई है।”
न्यायाधीश ने देखा कि रिकॉर्ड पर रखे गए साक्ष्य स्पष्ट रूप से साबित करते हैं कि हिंदुओं की आस्था और विश्वास है कि मस्जिद का निर्माण भगवान राम के जन्म स्थान पर किया गया था। इसके अलावा तीन-गुंबद संरचना भगवान का जन्म स्थान था।
न्यायाधीश ने कहा, “बाहरी प्रांगण में राम चबूतरा पर पूजा भगवान राम की प्रतीकात्मक पूजा थी। इस परिसर में ही राम का जन्म हुआ माना जाता है।”
न्यायाधीश ने कहा कि यह केवल ब्रिटिश काल के दौरान था कि मस्जिद की दीवार वाले परिसर को एक आंतरिक आंगन और बाहरी आंगन में विभाजित करते हुए एक जंगला बनाया गया था।
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