बांग्लादेश मना रहा 50 वां विजय दिवस

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ढाका, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश बुधवार को 50वां विजय दिवस मना रहा है। 1971 में इसी दिन 16 दिसंबर को पूर्वी पाकिस्तान के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी और पूर्वी पाकिस्तान में स्थित पाकिस्तानी सेना बलों के कमांडर ने बांग्लादेश के गठन के लिए इंन्स्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर पर हस्ताक्षर किए थे।

नियाजी ने ढाका में भारतीय और बांग्लादेश बलों का प्रतिनिधित्व कर रहे जगजीत सिंह अरोरा की उपस्थिति में ये हस्ताक्षर किए थे।

1971 में नौ महीने तक चले खूनी युद्ध के बाद देश को पाकिस्तानी कब्जे से आजाद कराया गया था। आत्मसमर्पण के समय केवल कुछ ही देशों ने इस नए राष्ट्र को राजनयिक मान्यता दी थी। भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद 93 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना और बांग्लादेश मुक्ति सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहला मौका था जब इतनी बड़ी तादाद में सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था।

30 लाख लोगों के सर्वोच्च बलिदान और लगभग 5 लाख महिलाओं के सम्मान की कीमत पर राष्ट्र पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में बांग्लादेश का जन्म हुआ।

जबकि कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को पंगु बना दिया है और लोगों को किसी भी सार्वजनिक सभा में शामिल होने से रोक दिया है, फिर भी बांग्लादेश में विजय दिवस के उत्सव को एक अलग स्तर पर मनाया जा रहा है।

राष्ट्रपति एम. अब्दुल हामिद और प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से उनके प्रतिनिधियों ने सुबह 6.30 बजे के आसपास ढाका के बाहरी इलाके सावर में बने राष्ट्रीय स्मारक पर लिबरेशन वॉर के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद शहीदों की याद में कुछ मिनटों का मौन रखा गया।

बांग्लादेश सरकार ने महामारी के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, राष्ट्रीय स्तर पर इस दिन के आयोजनों के लिए अनुमति दी है। इन कार्यक्रमों में 31 तोपों की सलामी, शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए स्मारकों पर माल्यार्पण करना, सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी कार्यालयों के साथ-साथ देश भर में स्वायत्त निकायों के कार्यालयों को सजाना, शहर की सड़कों को सजाना और राष्ट्रीय ध्वज को फहराना शामिल है।

इस मौके पर देश भर के जेलों में कैदियों, अस्पतालों, अनाथालयों आदि में रहने वाले लोगों को बेहतर भोजन परोसा जाएगा।

–आईएएनएस

एसडीजे-एसकेपी

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