बैंकिंग क्षेत्र को नुकसान पहुंचाए बगैर सुधार की जरूरत : दास

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 नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को यहां कहा कि बैंकिंग नियामक बैंकिंग क्षेत्र में सुधार जारी रखेगा, लेकिन उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करेगा, जो बैंकों के कामकाज को प्रभावित कर सकते हैं।

  दास ने कहा, “हम यह भी देख रहे हैं कि बैंकों के कामकाज में किस प्रकार के सुधार लाए जा सकते हैं.. लेकिन हम ऐसा ढांचा नहीं बनाना चाहते, जो बैंकों के कामकाज को प्रतिबंधित करता हो।”

आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के बाद पहली बार राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाताओं से बात करते हुए दास ने कहा कि तरलता, क्रेडिट वृद्धि और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए या फंसे हुए कर्जे) को लेकर वह विभिन्न हितधारकों के साथ बैठकें कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “इसलिए, बिना दवाब बनाए और बैंकों के काम में किसी भी तरीके से बाधा डाले बिना, उन्हें पर्याप्त वाणिज्यिक लचीलापन प्रदान करते हुए एक ऐसा वातावरण बनाने की जरूरत है, जहां बैंक न केवल फंसे कर्ज (एनपीए) वसूल कर पाएं, बल्कि अपना कारोबार भी बढ़ाएं।”

दास ने कहा कि आरबीआई का वर्तमान में जोर एनपीए का समाधान करना, सरकारी बैंकों की हालत सुधारना है। भारतीय बैंकों का बड़े कर्जो के रूप में कुल 10 लाख करोड़ रुपये फंसा हुआ है और इनमें से 21 सरकारी बैंकों पर आरबीआई प्राम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) कर रहा है, जिसके तहत बैंक प्रबंधन का अधिकार सीमित हो जाता है और आरबीआई उसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लेती है।

दास ने उर्जित पटेल की जगह आरबीआई गवर्नर का पद संभाला है, जिन्होंने सरकार के साथ तरलता मुद्दे पर तनातनी को लेकर इस्तीफा दे दिया था।

उन्होंने कहा कि जब भी तरलता की जरूरत होगी, केंद्रीय बैंक उसे पूरा करने के लिए कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि तरलता के कारण ‘नुकसान’ होने नहीं दिया जाएगा और सावधानी के साथ उपायों को लागू किया जाएगा।

दास ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमईज) के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के बाद कहा कि आरबीआई को वर्तमान तरलता की स्थिति का ‘अंदाजा’ है और बैंक ने ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओज) के जरिए 60,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी बाजार में डाली है।

उन्होंने कहा, “तरलता के मुद्दे को लेकर मैं यह कहना चाहूंगा कि यह कुछ ऐसा है, जिस पर आरबीआई लगातार नजर रखता है और जब भी जरूरत होती है, कदम उठाता है, ताकि तरलता की कमी से निपटा जा सके।”

उन्होंने आगे कहा, “इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगा कि आरबीआई ऐसी स्थिति नहीं चाहता है कि तरलता की कमी के कारण नुकसान होने लगे। तरलता बढ़ाने के उपाय बहुत ही सावधानीपूर्वक किए जाते हैं और यह जरूरत के मुताबिक ही किया जाता है। क्योंकि तरलता की अधिकता से भी बुरा असर होता है।”

दास ने आगे कहा कि वह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीज) से मुंबई में मंगलवार को मुलाकात करेंगे।

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