Bakrid 2020: 1 अगस्त को मनाई जाएगी बकरीद, कोरोना काल में घर पर ऐसे मनाएं ईद-उल-अजहा

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Bakrid 2020: बकरीद मुस्लिम समुदाय के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे ईद-उल-फितर के 70 दिन बाद मनाया जाता है। इसे ईद-उल-अजहा (Eid ul Adha) या ईद-उल जुहा (Eid ul Juha) भी कहा जाता है। बकरीद मुख्‍य रूप से कुर्बानी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह लोगों को सच्चाई की राह में अपना सबकुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है। इस्लामिंक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार 12वें महीने की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। इस बार ईद-उल-जुहा का पर्व 1 अगस्त को मनाया जाएगा। हालांकि, साउदी अरब में 31 जुलाई को ही बकरीद मनाई जाएगी।

कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस साल त्योहारों को मनाने का तरीका बिलकुल बदल गया है। पिछले सालों की तरह इस बार त्योहार धूमधाम से नहीं मनाया जा सकेगा। इस जानलेवा वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को अपने-अपने घरों में ही ईद मनानी होगी। मुस्लिम समुदाय को घरों पर ही ईद की नमाज़ पढ़नी होगी और ज़्यादा लोगों से मिलने-जुलने से बचना होगा।

कोरोना वायरस के इस दौर में घर पर ऐसे मनाएं बकरीद:

घर को सजाएं

इस बार ईद के मौके पर एक नई थीम को चुनें और उसके आधार पर अपने घर को सजाएं। त्योहार के हिसाब से हल्का संगीत भी बजा सकते हैं।

घर पर पढ़ें नमाज़

सरकार के साथ सभी इस्लामिक संस्थानों से लोगों से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच सभी लोग अपने घरों में नमाज़ पढ़ें और ऐसी जगह न जाएं जहां ज़्यादा भीड़ जमा हो। ऐसा करके न सिर्फ आप खुद सुरक्षित रहेंगे, बल्कि अपने परिवार को भी महफ़ूज़ रखेंगे।

दोस्तों और रिश्तेदारों को वर्चुअल विश भेजें

अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों को वीडियो कॉल या सोशल मीडिया के ज़रिए विश करें। इसके लिए आप स्काइप, गूगल या व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर सकते हैं।

घर पर पकाएं खाना

ईद पर सबसे खास होता है खाना। अपने परिवार के साथ मिलकर नई डिशेज़ तैयार करें। सबके साथ मिलकर खाना खाएं। लेकिन, ज़रूरत से ज़्यादा खाना न खाएं। अपनी सेहत और पेट का भी ख्याल रखें।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें

अगर आपको किसी वजह से घर से बाहर निकला पड़ता है, तो मास्क लगाना न भूलें। बाज़ार में लोगों से शारीरिक दूरी बनाए रखें। सैनीटाइज़र का इस्तेमाल करें। घर वापस आने पर हाथ धोएं और हो सके तो जूते भी धोएं।

बकरीद, ईद-उल-अजहा का महत्व

बता दें कि इस्लाम में बकरीद का दिन फ़र्ज़-ए-कुर्बानी का दिन होता है। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान किया था। तब खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवन दान दिया था।

इस्लाम में मुस्लिमों और गरीबों का खास ध्यान रखने की परंपरा है। इस वजह से बकरीद पर गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। इन तीन हिस्सों में खुद के लिए एक हिस्सा रखा जाता है, एक हिस्सा पड़ोसियों और रिश्तेदारों को बांटा जाता है और एक हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों को बांट दिया जाता है। इसके जरिए मुस्लिम लोग पैगाम देते हैं कि वो अपने दिल की करीब चीज भी दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं।


Bakrid 2020: बकरीद का त्योहार क्यों मनाया जाता है? जानें कैसे शुरू हुई कुर्बानी की परंपरा

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