लखनऊ, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच विवाद ने दोनों दलों के बीच फिर से कड़वाहट पैदा कर दी है। मगर फिलहाल स्थिति सपा के लिए कारगर होती दिख रही है।
सपा अब राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए मुख्य चुनौती बनकर उभर रही है। यहां तक कि पार्टी के भीतर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के कट्टर आलोचक भी स्वीकार कर रहे हैं कि उनके मास्टरस्ट्रोक ने विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का पलड़ा भारी कर दिया है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव से निकटता रखने वाले सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, बसपा के साथ गठबंधन की अखिलेश की गलती से पिछले साल के लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब वह इसके लिए तैयार हो गए हैं।
बसपा अध्यक्ष मायावती गुरुवार को सपा के जाल में तब फंस गईं, जब उन्होंने घोषणा की कि वह अगले विधान परिषद चुनाव में सपा को हराने के लिए भाजपा का समर्थन करने में भी संकोच नहीं करेंगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, उन्होंने आखिरकार दुनिया को बता दिया है कि वह भाजपा के साथ हाथ मिला रही हैं। इन सभी वर्षो में उन्होंने अल्पसंख्यकों को गुमराह किया है, लेकिन अब वह पूरी तरह से बेनकाब हो गई हैं।
उन्होंने आगे कहा, बेशक हमारे स्वतंत्र उम्मीदवार का नामांकन बिना किसी वैध कारण के रद्द कर दिया गया, लेकिन हमने राजनीतिक रूप से बढ़त हासिल कर ली है।
उन्होंने यह भी कहा कि बसपा में जो नेता भाजपा के खिलाफ हैं, अब वे सपा की ओर देख रहे हैं।
समाजवादी पार्टी को इस तथ्य को लेकर उत्साहित है कि अब उत्तर प्रदेश में वही सत्तारूढ़ भाजपा के लिए मुख्य चुनौती है और 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा विरोधी मतों का विभाजन बहुत कम हो पाएगा।
कांग्रेस, जिसने शुरू में उत्तर प्रदेश में विपक्ष के तौर पर एक बड़ी ताकत के रूप में उभरने का दावा किया था, वह अपनी ही पार्टी में आपसी मतभेद से परेशान है।
उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव से पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। उन्नाव से 2009 में सांसद का चुनाव जीतने वाली कद्दावर नेता अन्नू टंडन ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी की नीतियों पर नाराजगी भी जताई। इसके अलावा उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी निशाना साधा। इसलिए यह कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में मजबूत विपक्ष के तौर पर वर्तमान परिस्थिति सपा के पक्ष में दिखाई दे रही है।
–आईएएनएस
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