नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)| भारत में अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) पर खर्च पिछले एक दशक में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 फीसदी रहा।
यह जानकारी सोमवार को लोकसभा में दी गई। इजरायल, चीन और ब्राजील के मुकाबले यह खर्च काफी कम है जहां आरएंडडी पर खर्च जीडीपी का क्रमश: 4.3 फीसदी, दो फीसदी और 1.2 फीसदी रहा है।
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने लिखित जवाब में बताया कि आरएंडडी में निवेश कम होने का एक कारण निजी क्षेत्र द्वारा कम निवेश करना है।
उन्होंने कहा, “आरएंडडी में निवेश कम होने का एक कारण इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र का निवेश कम होना है। प्रौद्योगिकी के मामले में उन्नत देशों में निजी क्षेत्र में निवेश का हिस्सा 65-75 फीसदी होता है जबकि भारत में महज 30 फीसदी है।”
उन्होंने कहा कि पिछले दशक में हालांकि आरएंडडी में देश का निवेश बढ़कर तीन गुना हो गया है फिर भी यह जीडीपी का 0.7 फीसदी ही रहा है।
उन्होंने कहा, “विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना प्रणाली (एनएसटीएमआईएस) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2004-05 से लेकर 2014-15 के दौरान आरएंडडी खर्च में तीन गुना इजाफा हुआ है।”
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