नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले के भजनपुरा इलाके में शनिवार को हुए हादसे में तीन छात्रों और एक शिक्षक की मौत हो गई, जबकि चारों के चारों साफ तौर पर बेकसूर थे। मां-बाप ने मासूम बच्चों को उज्ज्वल भविष्य बनाने की उम्मीद में कोचिंग सेंटर में पढ़ने भेजा था।
हादसे में बेमौत मारे गए शिक्षक देश की राजधानी में परिवार को बेहतर जीवन मुहैया कराने और दो जून की रोटी नसीब कराने के लिए कोचिंग में बच्चों को पढ़ाने जाते थे। जब मरने वाले चारों ही लोग बेकसूर थे, तो फिर इस हादसे का कसूरवार कौन है? सीधा-सीधा जबाब है..बेबस दिल्ली दमकल सेवा और बेहया देश की राजधानी दिल्ली की सरकारी मशीनरी। कैसे, यह आपको आईएएनएस बता रहा है आगे।
दिल्ली दमकल सेवा के एक पुराने सर्वे के मुताबिक, राजधानी में तीन से 4 हजार के बीच कोचिंग चल रहे हैं। इन कोचिंग सेंटरों में आग से बचाव के उपायों की पड़ताल के लिए दिल्ली दमकल सेवा के पास कर्मचारियों की संख्या नगण्य है। दिल्ली दमकल सेवा दिल्ली सरकार के अधीन है। यह तो रही बात दिल्ली दमकल सेवा की मजबूरियों-बेबसी की।
अब आगे बात करते हैं दिल्ली दमकल सेवा की ही एक उस सर्वे रिपोर्ट की, जो बीते वर्ष आई थी। उस रिपोर्ट में दिल्ली की सरकारी मशीनरी को साफ-साफ आगाह किया गया था कि राजधानी में चल रहे करीब 22 कोचिंग सेंटर कानूनों की धजिज्यां उड़ा रहे हैं। यह बहुमंजिला इमारतों (15 मीटर से ऊंची इमारत) में खुलेआम चल रहे हैं। अग्नि सुरक्षा संबंधी इनके पास कोई उपाय नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर कोचिंग सेंटर घरों के भीतर ही चलाए जा रहे हैं।
इस क्रम में अब आगे बात करते हैं दिल्ली की बेहया सरकारी मशीनरी की। दिल्ली दमकल सेवा को किसी भी ऐसी इमारत में चल रहे कोचिंग सेंटर के खिलाफ कोई प्रशासनिक या कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है, जो अग्निशमन सेवा नियमों के विरुद्ध चल रहे हों। लिहाजा, ऐसे में दिल्ली दमकल सेवा कानूनी और वैद्यानिक कार्यवाही के लिए फाइल दिल्ली सरकार के संबंधित विभाग को बढ़ा देता है। यही उसकी जिम्मेदारी भी है।
दिल्ली सरकार में मौजूद अफसरान फाइलों को अलमारियों में बंद कर देते हैं। भजनपुरा में शनिवार को हादसे में मारे गए 4 बेकसूर भी दरअसल इसी सरकारी सुस्ती का घिनौना नमूना है।
दिल्ली दमकल सेवा के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर न करने की शर्त पर शनिवार को आईएएनएस से कहा, “कोचिंग सेंटर्स की बात छोड़ भी दी जाए, तो गांधी नगर, मुखर्जी नगर, साउथ एक्सटेंशन, जनकपुरी-विकासपुरी, लक्ष्मी नगर, शकरपुर, पांडव नगर आदि इलाकों में हजारों पीजी (पेइंग गेस्ट हाउस) भी नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाकर चल रहे हैं। एक एक कमरे में 8-8 छात्र-छात्राएं हर वक्त मौत से साए में रहते हैं। यह भी इतनी घनी आबादी के बीच हैं कि मुसीबत में उन्हें निकलने का मौका तक न मिले। यह सब काम होता है दिल्ली पुलिस के स्थानीय थानों की पुलिस, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण जैसी उन एजेंसियों के चंद अफसर-कर्मचारियों की कथित मिली-भगत से, जिन्हें इन मामलों में कानूनी और वैधानिक कार्यवाही का हक है।”
शनिवार को भजनपुरा में जो हादसा हुआ, वो भी इन्हीं उन चंद बेहया सरकारी मशीनरी तंत्रों की लालफीताशाही का नतीजा रहा। जिस मकान में कोचिंग सेंटर चल रहा था, अगर पुलिस ने या नगर निगम की टीमों ने कभी वहां जाकर देखा होता कि किस भीड़-भाड़ वाले इलाके में सेंटर चल रहा है? आपात स्थिति में बचाव के उपाय क्या उस इमारत में मौजूद हैं, जिस इमारत में कोचिंग सेंटर चल रहा है? उसकी ऊंचाई 15 मीटर से ज्यादा तो नहीं है। पड़ोस वाली जो इमारत ढही, उसकी ऊंचाई कहीं 15 मीटर से ज्यादा तो नहीं है। साथ ही बराबर वाली (ढही इमारत) बेहद कमजोर तो नहीं थी। यह सब पहले देखा गया होता तो शायद हादसे में चार बेकसूर मरने से बचा लिए गए होते।
भजनपुरा-सा ही हादसा बीते साल मई-जून महीने में पश्चिमी दिल्ली जिले के जनकपुरी इलाके में होते-होते बच गया था। उस कांड में लड़कियों के हॉस्टल में आग लग गई थी। घटना में 6 लोग जख्मी हो गए थे। सैकड़ों लड़कियों को मुश्किल से बचाया जा सका था।
सूरत में हुए अग्निकांड में जब 22 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, तो दिल्ली सरकार ने भी करवट बदली थी। दो-चार दिन मंत्री और उनकी मशीनरी में थोड़ी हरकत-सी नजर आई। फिर सब शांत पड़ गए। अब सरकारी मशीनरी की आंख खोली है भजनपुरा में हुई 4 बे-कसूरों की दर्दनाक मौत ने। यह अलग बात है कि भजनपुरा हादसे के बाद देश की राजधानी की सरकारी मशीनरी से जंग हट जाएगा। आइंदा भजनपुरा जैसा हादसा नहीं होगा, इसकी गांरटी लेने वाला दिल्ली के सरकारी तंत्र में कोई नहीं है।
इस बाबत दिल्ली दमकल सेवा के निदेशक विपिन कैंटल ने शनिवार को आईएएनएस ने कहा, “हमारी नजर में 22 ऐसे कोचिंग सेंटर आए थे, जिनमें सुरक्षा के उपाय नहीं थे। इस बाबत दिल्ली दमकल सेवा ने अपने स्तर से संबंधित उच्चाधिकारियों के संज्ञान में रिपोर्ट ला दी थी। ऐसा नहीं है कि कार्यवाही नहीं होती है।”
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