अगले महीने की 11 तारीख से लोकसभा चुनाव का आगाज हो जाएगा। ऐसे में फिर से कई बड़े चेहरों पर दांव लगाया जा रहा है, लेकिन इस चुनाव में कुछ ऐसे दिग्गज भी हैं जो चुनाव नहीं लड़ेंगे। आइए बताते हैं कि कौन से हैं वो बड़े नेता जो इस बार चुनावों में अपनी किस्मत नहीं आजमाएंगे।
बिहार में बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख रामविलास पासवान ने हाल ही में कहा, ”50 साल बाद मैं अब अंतत: चुनाव नहीं लड़ूंगा”। पासवान बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ते हैं। 2014 में उन्होंने यहीं से जीत हासिल की थी। पासवान को अब राज्यसभा में भेजा जाएगा। बिहार बीजेपी ने लोजपा को लोकसभा में 6 सीटें दी हैं और कहा जा रहा था कि बिहार या असम की एक राज्यसभा सीट पर पासवान को भेजा जाएगा।
लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी उन लोकसभा चुनाव लड़ने का दवाब डाल सकती है क्योंकि बीजेपी के ही एक सर्वे में पासवान को जिताने वाले उम्मीदवार माना जा रहा है। वैसे पासवान 2009 में लोकसभा सीट हारने के बाद 2010 से 2014 के बीच राज्यसभा सांसद रह चुके हैं और अभी एनडीए में केंद्रीय मंत्री हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने भी हाल ही में ऐलान किया कि वो 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि पार्टी चाहती थी कि वो माढ़ा से चुनाव लड़ें। उन्होंने चुनाव न लड़ने का कारण बताते हुए कहा, ”मुझे लगा कि मेरे परिवार के दो सदस्य इस बार चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए मुझे चुनाव न लड़ने का फैसला लेने का यह सही समय लगा। मैं पहले ही 14 बार चुनाव लड़ चुका हूं”। एनसीपी प्रमुख ने कहा कि उनके भतीजे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार के बेटे पार्थ पवार मावल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे।
हालांकि शरद यादव ने 2014 को लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ा था। वो फिलहाल महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद हैं। आखिरी बार उन्होंने 2009 में माढ़ा की नई बनी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीते थे। शरद यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री और एक बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी पिछले ही साल घोषणा कर दी थी कि वो 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने कहा था कि वो अगले डेढ़ साल सिर्फ गंगा और राम को देना चाहती हैं। हालांकि उन्होंने साफ किया था कि वो राजनीति से संन्यास नहीं ले रही हैं और आलाकमान से इजाजत के बाद ही वे अपने मिशन में जुटेंगी।
उमा उत्तर प्रदेश की झांसी लोकसभा सीट से सांसद हैं। 2014 में उन्हें मोदी की कैबिनेट में गंगा की सफाई से जुड़े जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय का जिम्मा दिया गया था। हालांकि, 2017 में उनका पोर्टफोलियो बदलकर केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की जिम्मेदारी दे दी गई। उमा राम मंदिर के आंदोलन में काफी सक्रिय रही हैं और उन पर भी अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के आरोप लगे थे। उमा मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं।
पिछले ही साल उमा भारती से भी पहले बीजेपी की वरिष्ठ नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2019 लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था। चुनाव न लड़ने के लिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य को कारण बताया था। उनके इस ऐलान के बाद मीडिया में ये भी खबरें चली थीं कि उनको नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसके चलते वो खुद साइड हो रही हैं।
सुषमा ने 2014 में मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट को दोबारा जीता था। वह 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और केरल की अलाप्पुझा सीट से सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी ऐलान कर दिया है कि संगठनात्मक जिम्मेदारियों के चलते वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘मेरी जिम्मेदारी है कि मैं पार्टी के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूं। मैं (पार्टी मामलों का) कर्नाटक प्रभारी भी हूं। दिल्ली में बैठकर अलपुझा से चुनाव लड़ना मेरे मतदाताओं के प्रति अन्याय होगा।’’
गौरतलब है कि कांग्रेस संगठन में जनवरी में हुये फेरबदल में उन्हें यह पद सौंपा गया था जो पहले अशोक गहलोत के पास था।
This post was last modified on March 13, 2019 4:31 PM
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