हाजीपुर, 25 मई (आईएएनएस)। कोरोना संक्रमण काल में जब दूर-दराज के गांवों में कई परिवारों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल है, ऐसे समय में कोई अगर उनके घरों तक खाने का ठेला लेकर खाना खिलाने पहुंच जाए तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं होता। ऐसा ही देखने को मिल रहा है हाजीपुर और इसके आसपास के गांवों में जहां स्वामी विवेकानंद सामाजिक शोध संस्थान द्वारा जरूरतमंदों को खाना खिलाने और उन तक पहुंचकर उनकी मदद करने का बीड़ा उठाया गया है।
संस्था के लोग संस्था के प्रमुख अजीत सिंह के नेतृत्व में एक ठेला पर खाने का सामान, पत्तल, प्लेट लेकर गांवों, झुग्गियों, झोपड़ियों तक प्रतिदिन पहुंच रहे हैं और लोगों को भरपेट खाना खिलाकर आगे बढ़ जा रहे हैं।
व्यवसायिक प्रतिष्ठान के मालिक और संस्था के प्रमुख अजीत सिंह आईएएनएस से कहते हैं कि उनके यहां भी कुछ कर्मचारी हैं, लॉकडाउन के बाद उन कर्मचारियों के सामने जब उन्हें परेशानी होने लगी तो ऐसे कर्मचारी और लोगों की परेशानी से अवगत हुआ और फिर यह सेवा प्रारंभ कर दिया।
वह कहते हैं, “शुरू में राशन बांटना प्रारंभ किया था, लेकिन उसमें अव्यवस्था फैल गई, जिसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों मे ठेला द्वारा खाना पहुंचाना और शहरी इलाकों के सदर अस्पताल और जौहरी बाजार में लंगर चलाना प्रारंभ करवाया जो अनवरत जारी है।”
‘नर में है नारायण और हर बच्चा है भगवान’ के मूल उद्देश्य को लेकर अजीत खुद गरीबों, जरूरतमंदों तक ठेला लेकर पहुंचते हैं और उन लोगों को पत्तल पर परोस कर भरपेट खाना खिलाते हैं।
वह कहते हैं, “किसी दिन उनके ठेला पर चावल, दाल सब्जी, तो किसी दिन खिचड़ी, चोखा, चटनी होता है। एक दिन तो बिरयानी भी बनवाकर लोगों के बीच परोसा था। इसके लिए उन्होंने बकायदा कारीगर और रसोई बना रखी है जहां सुबह होते ही खाना बनाने का कार्य प्रारंभ हो जाता है।”
वह आईएएनएस से कहते हैं, “प्रतिदिन करीब 2,000 से 2,500 लोगों की सेवा कर अपना मानवता के धर्म का निर्वाह कर रहे हैं। अब तक कम से कम 30 ग्राम पंचायतों के गांवों तक वे खाना लेकर पहुंच गए हैं।”
इस कार्य के उद्देश्यों के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बेबाक रूप से कहा, “मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ा हुआ हूं। जिसका उद्देश्य लोगों की सेवा करना और विपत्ति के दौरान लोगों की मदद करना है। आज बिना किसी भेदभाव के लोगों की मदद कर रहा हूं।”
उनका कहना है कि प्रारंभ में जरूर कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब लोगों का सहयोग मिल रहा है। उन्होंने बताया कि एक दिन तो ठेला के चालक नहीं आने के कारण उन्हें ही ठेला चलाना पड़ा।
उन्होंने कहा, “जब तक लॉकडाउन रहेगा तब तक उनकी इच्छा लोगों की सेवा करने की है। आगे जैसा होगा देखा जाएगा।”
आज ग्रामीण क्षेत्रों में अजीत को लोग मसीहा की तरह याद कर रहे हैं। जदुआ गांव के मिहिर सिंह कहते हैं कि एक समय था जब यहां कई लोग भूखे सो रहे थे, लेकिन आज इन्हें खाना मिल जा रहा है। वे कहते हैं कि जिस दिन गांव में ठेला नहीं पहुंचता, उस दिन यहां के लोग सदर अस्पताल के पास लंगर में खाना खाने चले जाते हैं।
–आईएएनएस
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