मुजफ्फरपुर, 5 मई (आईएएनएस)। कोरोना संकट के इस दौर में सरकार द्वारा उठाए गए एहतियाती कदमों ने लोगों के रहन-सहन को प्रभावित किया है। कई लोगों की आम दिनचर्या बदल गई है तो कई का रहन-सहन में परिवर्तन देखा जा रहा है। इस संकट ने जीवन में उपयोग होने वाली कई नई चीजें सिखा दी है।
लॉकडाउन में बाहर निकलना मुश्किल हो गया तो लोग सदियों पुरानी परंपरा की ओर लौट गए है। अब फिर से गांव में वस्तु विनिमय यानी एक सामान के बदले दूसरा सामान लेने देने का दौर शुरू हो गया। लोग गांव में ही एक दूसरे से जरूरत के सामान अदला-बदली कर रहे हैं और बाहर जाने से बच रहे हैं।
राहत की बात है कि लोग बाहर नहीं जाना चाह रहे हैे। गांव में अपनी आवश्यकता की चीजें की पूर्ति कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर के बागमती तटबंध उत्तरी और दक्षिणी के बीच बसे एक दर्जन गांवों में लोग इस लॉकडाउन में पूरी तरह इसी पुरानी पद्घति पर आश्रित हैं।
सरहंचिया गांव के रहने वाले रामू राय कहते हैं, “अपने खेतों में लहसुन देकर इन दिनों अपने परिवार के लिए चावल की खरीद की है तो गांव के कई लोग दूध देकर आलू खरीद रहे हैं।”
कई लेाग गेहूं देकर रोजमर्रा के सामान खरीद रहे हैं। लोग बताते हैं कि वस्तुओं की कीमत के अनुसार उसका वजन तय होता है।
बैगना गांव के रहने वाले विवके ठाकुर कहते हैं, “इस दौर में लोगों के पास नकद रुपये नहीं के बराबर है जबकि सामान सभी घरों की जरूरत है। रोजमर्रा के सामान खरीदना सभी लोगों की आवश्यकता है। लोग सामान खरीदने के लिए बाजार जाने से भी परहेज कर रहे है।”
तरबना गांव के लोगों की गृहस्थी भी फिलहाल इसी पद्घति के जरिए चल रही है। तरबना गांव के रहने वाले सब्जी उत्पादक भी सब्जी के बदले अनाज ही ले रहे हैं। कई किसान तो गोपालकों से उर्वरक के लिए गोबर भी वस्तु विनिमय के तहत ही खरीदे हैं।
–आईएएनएस
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