नई दिल्ली, 9 फरवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की कई अन्य केंद्रीय योजनाओं की भांति स्वामित्व योजना में भी दिलचस्पी नहीं दिख रही है, क्योंकि इस साल अप्रैल से यह योजना देशभर में लागू होने जा रही है और इसके लिए कई राज्यों ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर लिए हैं और अन्य इस पर विचार कर रहे हैं, जबकि पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बिहार और झारखंड में स्वामित्व योजना पर अमल का मसला विचाराधीन है, जबकि पश्चिम बंगाल से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। ड्रोन के जरिए सर्वे के माध्यम से गांवों के रिहायशी इलाके में डिजिटल मैपिंग की महत्वाकांक्षी योजना स्वामित्व पिछले साल 24 अप्रैल को शुरू की गई थी और पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इस साल इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। इसकी घोषणा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में भी की है।
केंद्रीय पंचायती राज सचिव सुनील कुमार ने आईएएनएस को बताया कि, स्वामित्व योजना को पूरे देश में लागू करने की तैयारी नवंबर में ही शुरू हो गई थी और देश के बाकी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजे गए थे, जिसमें राज्य के नोडल अधिकारी की नियुक्ति, एमओयू पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया और जिलेवार सर्वे को लेकर प्रचार-प्रसार का कार्य मार्च तक पूरा करने को कहा गया ताकि अगले वित्त वर्ष में अप्रैल से ड्रोन सर्वे शुरू किया जा सके।
कुमार ने बताया कि, आंध्रप्रदेश में एमओयू पर हस्ताक्षर होने के साथ ड्रोन सर्वे का काम भी शुरू हो गया और इसके अलावा छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा ने भी एमओयू पर हस्ताक्षर कर लिए हैं, जबकि गोवा, गुजरात, केरल और ओडिशा की ओर से योजना लागू करने की सहमति मिल चुकी है और इसी महीने में एमओयू पर हस्ताक्षर हो जाएंगे।
पंचायती राज सचिव ने बताया, बिहार और झारखंड में स्वामित्व योजना अभी विचाराधीन है जबकि पश्चिम बंगाल से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
वहीं, दिल्ली और चंडीगढ़ में कोई पंजायती राज संस्थाएं नहीं होने के कारण ये स्वामित्व योजना की परिधि से बाहर हैं।
गांवों में अब तक बैंकों से दुकान के लिए कर्ज तो मिल जाता था, लेकिन मकान बनाने के लिए कोई कर्ज नहीं मिलता था। लेकिन अब बैंक मकान बनाने और उसकी मरम्मत करने के लिए भी कर्ज देगा। साथ ही स्वामित्व के तहत मिलने वाले प्रॉपर्टी कार्ड से तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना आसान हो जाएगा।
सुनील कुमार ने बताया कि देश में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब ग्रामीण क्षेत्र की रिहायशी जमीन का लोगों का मालिकाना हक का एक कार्ड दिया जा रहा है, जिस पर उनको बैंकों से कर्ज भी मिल सकता है क्योंकि भारतीय सर्वेक्षण विभाग के निर्देशन में किए जाने वाले ड्रोन सर्वे के बाद जायदाद का जो कागत मिलता है, उसके आधार पर संपत्ति के मूल्य का आकलन किया जा सकता है।
कुमार ने बताया कि ड्रोन सर्वे के लिए राज्यों के नोडल अधिकारी मसलन राजस्व विभाग के अधिकारी और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के प्रतिनिधि एमओयू पर हस्ताक्षर करते हैं।
स्वामित्व योजना लागू होने से जमीन के मालिकाना हक को लेकर किसी प्रकार का विवाद पैदा होने की आशंका को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह योजना ग्रामीण इलाकों में विवादों का निपटारा करने में सफल साबित हो रही है। ड्रोन सर्वेक्षण से करीब 90-95 फीसदी मामले सुलझ गए हैं। पंचायती राज सचिव ने स्पष्ट किया कि इस योजना में राज्यों के राजस्व कानून का अनुपालन होगा इसलिए इस योजना से कोई नया विवाद नहीं खड़ा होगा।
उन्होंने बताया कि जिस जिले में ड्रोन सर्वेक्षण का काम शुरू होगा, उसके बारे में पहले ही सूचना दी जाएगी, जिससे गांव से बाहर रहने वाले लोग सर्वेक्षण के दौरान वहां उपस्थित रह सकते हैं।
अगले वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में स्वामित्व योजना के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
–आईएएनएस
पीएमजे/एएनएम
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