बिहार : पटना में ‘एयर लॉक’, सरकार के उपाय नाकाफी

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पटना, 6 नवंबर (आईएएनएस)| ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के कई शहरों में वायु प्रदूषण सुर्खियां बनने लगा है। देश के वायु प्रदूषण के खतरनाक श्रेणी में होने वाले शहरों में पटना के शामिल होने के बाद बिहार सरकार ने भी पहल करते हुए कई तरह के कदम उठाए हैं, परंतु इसे नाकाफी बताया जा रहा है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, पटना की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर मंगलवार को 414 तक पहुंच गया था।

हाल ही में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी देश के 103 शहरों की वायु गुणवत्ता सूचकांक में पटना खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि यहां की हवा जहरीली हो गई है। मुजफ्फरपुर और गया की हवा भी खराब पाई गई है। सूची में भागलपुर, दरभंगा, नवादा, औरंगाबाद की हवा भी मानक से अधिक प्रदूषित पाए गए हैं।

बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, पटना का एक नवंबर को एक्यूआई 357 था, वहीं दो नवंबर को यह 428 तक पहुंच गया था। तीन नवंबर को यह सूचकांक 413 और चार नवंबर को 383 तक पहुंचा था।

बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह भी कहते हैं कि पटना, गया, और मुजफ्फरपुर को देश के 102 ‘नॉनअटेन्मेंट सिटी’ के रूप में चिन्हित किया गया है।

उन्होंने बताया कि राजधानी पटना की बात करें तो यहां प्रदूषण के लिए 32 प्रतिशत वाहन, सात प्रतिशत उद्योग, चार प्रतिशत ईंट भट्ठा, 12 प्रतिशत धूल कण, सात प्रतिशत अवशेष का जलना, 10 प्रतिशत हिटिंग, पांच प्रतिशत डीजल जेनरेटर सेट जिम्मेदार हैं।

बिहार में वायु प्रदूषण पर काम कर रही संस्था सेंटर फॉर इन्वायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के सलाहकार अधिकारी मुन्ना झा कहते हैं,”हमारी संस्था ने जो रिसर्च किया है उसके मुताबिक वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के चलते पटना वालों की उम्र 7.7 साल कम हो रही है।”

उन्होंने कहा कि पटना में सिर्फ एक जगह ऑटोमैटिक वायु प्रदूषण नापने की मशीन लगी है, जो 2012 में लगी थी। ऐसे में जब आपके पास सही आंकड़े ही नहीं होंगे, तो आप उसमें सुधार क्या करेंगे? उन्होंने कहा कि पटना में चार-पांच स्थानों पर वायु प्रदूषण मापने की मशीन होनी चाहिए थी।

उन्होंने स्पष्ट कहा, “पटना में जिस तरह पिछले दिनों ‘वाटर लॉक’ की स्थिति थी, उसी तरह अभी ‘एयर लॉक’ की स्थिति बनी हुई है।”

झा कहते हैं कि पटना का वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। सरकार को इसके लिए पहले से ही तैयार होना चाहिए था।

इधर, वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर भी तेजी से हो रहा है। पटना एम्स के मेडिसीन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रविकीर्ति ने बताया कि अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य व्यक्तियों के साथ-साथ स्कूली बच्चे और बुजुगोर्ं में अस्थमा, नाक से पानी आना, क्रोनिक ब्रोनकाइटिस, एलर्जी, कफ, साइनोसाइटिस, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, पेट में दर्द जैसी बीमारियां होने लगी हैं।

इस बीच सरकार ने 15 साल से ज्यादा पुराने व्यवसायिक और सरकारी वाहन सात नवंबर से प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है। साथ ही 15 साल से पुराने निजी वाहनों की फिटनेस की जांच फिर से की जाएगी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को वायु प्रदूषण को लेकर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया। साथ ही यह भी फैसला लिया गया कि जो भी किसान पराली जलाएंगे, उन्हें कृषि संबंधित सब्सिडी नहीं दी जाएगी।

पटना शहर के आसपास के ईंट भट्ठों की जांच के साथ-साथ जहां निर्माण का काम चल रहा है, वहां के लिए गाइडलाइन जारी की गई है।

 

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