कोरोना लॉकडाउन लाखों लोगों की रोजी-रोटी लील गया। महामारी के इस दौर में लाखों लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। लेकिन आपको यह जानकर अचरज होगा कि इस फेहरिस्त में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री (Former CM Late Bhola Paswan Shastri) के परिजनों का नाम भी शामिल है। पिछले दिनों यह बात सामने आई कि पूर्व मुख्यमंत्री के परिजनों की माली हालत ठीक नहीं है। इसके बाद प्रदेश के दो युवा नेताओं ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने दिवंगत मुख्यमंत्री के परिवार की सहायता की है।
गुरुवार को तेजस्वी यादव ने भोला पासवान शास्त्री के भतीजे बिरंची पासवान से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। इस बातचीत के दौरान तेजस्वी ने भोला पासवान शास्त्री के परिवार वालों को एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता पहुंचाई। इसके अलावा परिवार के लिए पर्याप्त राशन आदि का प्रबंध भी करवाया।
इसके बाद शुक्रवार को जमुई सांसद व लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस मामले में सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा है। चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भोला पासवान शास्त्री के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। अपने इस पत्र में चिराग पासवान ने सीएम नीतीश ने भी आर्थिक मदद करने का अनुरोध किया है। बता दें, चिराग पासवान ने भी पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार को एक लाख ग्यारह हजार रूपये की राशि प्रदान की है।
बता दें कि भोला पासवान शास्त्री बिहार के पूर्णिया जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म 21 सितंबर 1914 को पूर्णिया के बैरगच्छी में हुआ और निधन 1984 में पटना में हुआ। उनकी गिनती एक बेहद ईमानदार और देशभक्त स्वतंत्रता सेनानियों में होती थी। वह महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए थे। बेहद गरीब परिवार से आने के बावजूद वह बौद्धिक रूप से काफी सशक्त थे।
कांग्रेस पार्टी से वह तीन बार एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। पूर्व CM भोला पासवान शास्त्री का कार्यकाल फरवरी 1968-जून 1968, जून 1969-जुलाई 1969 और जून 1971-जनवरी 1972 तक रहा था।
बताया जाता है कि भोला पासवान शास्त्री का राजनीतिक और निजी जीवन पारदर्शी था। बीएचयू से शास्त्री की डिग्री हासिल करने के बाद राजनीति में उतरे थे। इंदिरा गांधी ने इन्हें तीन बार बिहार का मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री भी बनाया था। मगर इस नेता की ईमानदारी ऐसी थी कि मृत्यु के बाद इनके खाते में इतने पैसे नहीं थे कि ठीक से श्राद्ध कर्म भी हो सके। पूर्णिया के तत्कालीन जिलाधीश ने इनका श्राद्ध कर्म करवाया था। शास्त्री जी के भतीजे बिरंची पासवान ने ही उनको मुखाग्नि दी थी। दरअसल शास्त्री जी को अपनी कोई संतान नहीं थी। सरकार की ओर से शास्त्री जी के परिजन को इंदिरा आवास मिला है। हालांकि उन्होंने ख़ुद से कभी कुछ मांगा नहीं।
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